जबलपुर। अपैक्स बैंक लोन घोटाले में फंसे आईएएस अफसर रमेश थेटे एवं उनकी पत्नी मंथा थेटे की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है। हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इन दिनों सरकार से सीधा लोहा ले रहे रमेश थेटे के लिए यह अच्छी खबर तो कतई नहीं है।
न्यायमूर्ति एसके गंगेले व जस्टिस एके जोशी की युगलपीठ में इस मामले की मैराथन सुनवाई चल रही थी। गुरुवार को लोकायुक्त की ओर से अधिवक्ता पंकज दुबे ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि अपैक्स बैंक के आला अधिकारियों और सीनियर आईएएस रमेश थेटे व उनकी पत्नी मंदा सहित अन्य ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के सर्वथा विपरीत जाकर लीपापोती का कारनामा कर दिखाया है।
इसी हरकत को गंभीरता से लेकर लोकायुक्त ने अपराध पंजीबद्घ किए जाने के बाद अदालत द्वारा चार्ज फ्रेम किए गए हैं। ऐसी स्थिति में अभियुक्तों द्वारा हाई कोर्ट की शरण लेकर फ्रेम किए गए चार्ज का वैधानिकता को कठघरे में रखना सर्वथा बेमानी है। प्रस्तुत याचिकाएं खारिज कर दिए जाने योग्य हैं।
लिया था 90 लाख का लोन
बहस के दौरान अवगत कराया गया कि सीनियर आईएएस रमेश थेटे की पत्नी मंदा ने स्मार्ट ऑडियो संचालित करने के लिए अपैक्स बैंक से 90 लाख का लोन लिया था लेकिन उन्होंने लोन की किश्तें जमा नहीं कीं। इसीलिए यह मामला बना। जब ट्रायल कोर्ट से सजा सुनाने की स्थिति बनी तो बैंक प्रबंधन व आरोपियों ने बड़ी चालाकी से कॉम्प्रोमाइज का नाटक रचा। इसके तहत आरबीआई की गाइड लाइन के विपरीत महज 50 लाख में समझौता कर लिया गया।