नईदिल्ली। कांग्रेस सरकारों पर अक्सर इस तरह के आरोप लगा करते थे कि वो मंत्रियों का चयन योग्य नहीं, जातिवाद या चुनावी आधार पर करते हैं। इसी कारण मंत्रालय वो परिणाम नहीं दे पाते जिनकी उम्मीद जनता करती है परंतु मोदी मंत्रीमंडल का विस्तार भी चुनावी आधार पर हो गया। इसमें योग्यता पर विचार ही नहीं किया गया।
इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में कुल 19 नए चेहरों को सरकार में शामिल किया गया। इसमें यूपी चुनाव को देखते हुए जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन का खास ख्याल रखा गया। एक दलित, एक ओबीसी और एक ब्राह्मण लिया गया है।
मोदी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर उत्तरप्रदेश के लोकप्रिय अखबार अमर उजाला ने जनता से एक सवाल पूछा। जिसमें जनता से ये जानने की कोशिश की गई कि क्या पीएम मोदी के मंत्रिमंडल का विस्तार आगामी चुनावों को देखते हुए किया गया है?
इस सवाल के जवाब में उनके सामने तीन विकल्प रखे गए। 1. हां, 2. नहीं, 3. कह नहीं सकते।
इस पोल को लेकर जनता में खासा उत्साह नजर आया, उन्होंने बढ़-चढ़कर इसमें अपने जवाब दिए। 78 फीसदी लोगों ने 'हां' पर मुहर लगाई।
पोल में कुल 3525 वोट पड़े। इनमें 78 फीसदी लोगों ने 'हां' पर मुहर लगाई। विकल्प 'हां' के पक्ष में 2762 वोट पड़े।
दूसरे विकल्प 'नहीं' के पक्ष में 648 मत पड़े, ये कुल मतों का करीब 18 फीसदी से ज्यादा है। वहीं तीसरे विकल्प 'कह नहीं सकते' के पक्ष में 115 वोट पड़े, जो कुल वोटों का महज 3.26 फीसदी है।
कुल मिलाकर पोल के नतीजों से साफ है कि जनता एक सुर में मान रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये मंत्रिमंडल विस्तार आगामी चुनाव को देखते हुए किया है।