नीरज कुमार/कटिहार। अब कैंसर, एड्स और हीमोफीलिया के मरीज भी दिव्यांग कहलाएंगे। केंद्र सरकार मानसून सत्र में इस विषय पर बिल लाने की तैयारी कर रही है। वर्तमान में मूक बधिर व दृष्टिहीनता सहित सात व्याधियों से ग्रस्त लोग ही दिव्यांग की श्रेणी में शामिल हैं। इसे बढ़ाकर 18 किया जाएगा। ऐसे लोगों के निशक्तता प्रमाणपत्र भी बनाए जाएंगे। इन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने लिए राष्ट्रीय दिव्यांगजन आयोग का भी गठन किया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय निशक्तता आयुक्त कमलेश कुमार ने दी।
उन्होंने बताया कि इन बीमारियों के मरीजों की बढ़ती संख्या और इनके शारीरिक रूप से निशक्त होने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है। दिव्यांगों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण तीन फीसद से बढ़ाकर आठ फीसद करने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि देश के 25 लाख दिव्यांगों का कौशल विकास करने के लिए वृहद योजना तैयार की गई है। इस वर्ष 75 हजार दिव्यांगों का कौशल विकास करने का लक्ष्य रखा गया है। देश में 80 हजार बच्चे जन्म से ही मूक-बधिर पैदा होते हैं।
सरकार द्वारा विशेषज्ञ डॉक्टरों से कराए गए सर्वे के मुताबिक इनमें 15 हजार बच्चों को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। एक बच्चे के इलाज पर छह लाख रुपये का खर्च आएगा। पहले चरण में 1850 ऐसे बच्चों के इलाज के बाद यंत्र का वितरण किया जाएगा।
निशक्तता आयुक्त ने बताया कि केंद्र सरकार ने इसके लिए राशि दे दी है। छह माह पहले कटिहार सहित देश के छह स्थानों पर लगाए गए विशेष विकलांग जांच शिविर में चिन्हित किए गए विकलांगों के बीच जुलाई में ही स्थानीय स्तर पर शिविर का आयोजन कर अत्याधुनिक कृत्रिम अंग व उपकरण का वितरण किया जाएगा।