नई दिल्ली। हो सकता है कि अगली बार जब आप रेलवे टिकट बुक कराने के लिए जाएं तो आपसे आधार कार्ड मांगा जाए और नहीं होने पर टिकट ही बुक ना हो पाए। इसके पीछे कारण यह है कि भारतीय रेलवे ने यात्री टिकट सेवा को आधार कार्ड से जोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है। अधिकारियों के अनुसार इसका मुख्य उद्देश्य टिकटों की कालाबाजारी पर लगाम लगाना है।
रेलवे का यह निर्णय बीते साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार कार्ड को लेकर की गई टिप्पणी के संदर्भ में आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार कार्ड को सरकारी योजनाओं के लाभों के लिए आवश्यक नहीं बनाया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, इस योजना को दो चरणों में लागू किया जाएगा।
बिजनस टुडे में छपी रिपोर्ट के अनुसार, पहले चरण में वरिष्ठ नागरिक, स्वतंत्रता सेनानियों और दिव्यांगों जैसी आरक्षित छूटों के लिए आधार कार्ड जरूरी किया जाएगा। रेलवे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि प्रथम चरण के लिए नीति 15 दिन में स्वीकार और लागू होगी।
दूसरे चरण में लगभग दो माह का समय लगेगा। इसमें रेलवे की सभी सेवाओं को आधार कार्ड से जोड़ दिया जाएगा। इसका मतलब रेलवे टिकट बुक कराने के लिए भी आधार कार्ड की आवश्यकता होगी। अधिकारियों ने कहा कि अधिकतर लोग आधार कार्ड से जुड़े हुए हैं, इसलिए इस योजना को लागू करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 96 फीसद भारतीय नागरिकों के पास आधार नंबर है। टिकट बुकिंग के समय दिए गए आधार कार्ड नंबर यात्रा टिकट पर प्रिंट होंगे। यात्रा के दौरान टिकट पर प्रिंट आधार कार्ड नंबर टिकट निरीक्षक (टीटीई) को दिए गए मोबाइल डिवाइस में दर्ज किए जाएंगे। नंबर दर्ज करते ही मोबाइल में यात्री की सारी सूचनाएं फोटो सहित आ जाएंगी, जिससे यात्री को प्रमाणित करने में आसानी होगी। सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए रेलवे, यात्री टिकट पर ट्रेन यात्रा की वास्तविक लागत प्रिंट करना शुरू कर चुका है। इसका उद्देश्य लोगों को यात्रा में मिली छूट के बारे में जानकारी देना था। रेलवे वरिष्ठ नागरिकों के लिए छूट को भी वैकल्पिक कर चुका है।
गौरतलब है कि आधार कार्ड योजना की शुरुआत आम जनता की मदद के लिए 7 साल पहले की गई थी। इसका लक्ष्य लोगों को बैंकिंग अथवा अन्य सेवाओं के उपयोग लिए एक विशिष्ट पहचान नंबर उपलब्ध कराना था।