राजेन्द्र बंधु। मध्यप्रदेश सरकार ने चाहे शराब बंदी से इंकार कर दिया हो, किन्तु प्रदेश की पंचायतें और उनकी महिला पंच-सरपंच इस मामले में पीछे हटने का तैयार नहीं हैं। उन्होंने अपनी पंचायत में जो सक्रियता दिखाई, उससे गांव में शराब बेचना और पीना दोनों ही मुश्किल हो गया है।
भिण्ड जिले की ग्राम पंचायत सर्वा की सरपंच निर्मला देवी, रतलाम जिले की ग्राम पंचायत बंजाली की उपसरपंच ताराबाई, छतरपुर जिले की ग्राम पंचायत कायम की सरपंच फूलाबाई और इन्दौर जिले की ग्राम पंचायत रामपुरियाखुर्द की सरपंच मीरा नायर आदि कुछ ऐसे नाम हैं, जिन्होंने अपनी पंचायत में महिलाओं को एकजुट करते हुए शराबबंदी की मिसाल कायम की।
सागर जिले के ग्राम बरखेड़ी टांडा का पांच वर्षीय भगवनसिंह, चार वर्षीय रीना और तीन वर्षीय सोनू शराब के कारण अनाथ हो चुके हैं। इनके पिता तुलसीराम ने डेढ़ साल पहले शराब के नशे में घर में लड़ाई कर खुद पर केरोसीन डालकर आग लगा ली। उन्हें बचने के प्रयास उनकी पत्नी भी आग में झुलस गई, जिससे दोनों की ही मृत्यु हो गई। उनके तीनों बच्चे आज अपनी मौसी के घर में रहते हैं। शराब से पैदा हुई पीड़ा की यह कोई इकलौती घटना नहीं है, बल्कि गांव-गांव में असंख्य महिलाएं और बच्चे इसे भुगतने को विवश है किन्तु शराब की सरकारी आय इस पीड़ा पर इतनी हावी है कि सरकार शराब बेचने के नए-नए उपाय खोज रही है। सूखे से जूझ रहे बुंदेलखण्ड क्षेत्र के गांवों में पीने का पानी नहीं है, किन्तु पिछले एक साल में यहां अरबों की शराब बेची जा चुकी है। यहां के सागर संभाग में पिछले साल सरकार ने दो अरब से ज्यादा रूपए की शराब नीलामी का लक्ष्य तय किया था, जो बहुत ही आसानी से पूरा हो गया।
इस सबके बावजूद उजाले की एक किरण जरूर दिखाई देती है। क्योंकि कई पंचायतों ने अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए शराब रोकने में कामयाबी हासिल की है। सन् 2015 में भिण्ड जिले की ग्राम पंचायत सर्वा की सरपंच चुनी गई गई निर्मला देवी ने सबसे पहले शराब पर रोक लगाने का फैसला लिया। पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में कई अवैध शराब दुकानें मौजूद थीं। यहां बोतल और पाऊचों में शराब आसानी से बिकती थीं। अब 50 महिलाएं पूरे गांव की निगरानी करती है, जिनके डर से कोई भी व्यक्ति गांव में शराब पीकर नही आता।
छतरपुर जिले के बड़मलहारा ब्लाक के ग्राम कायम के लोग भी शराब से बुरी तरह परेशान थे। यहां की अवैध शराब दुकानों पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता था। इस दशा में यहां की फूलाबाई ने सरपंच का चुनाव लड़ते समय लोगों से सिर्फ एक ही वायदा किया था कि वह गांव को शराब मुक्त कराएगी। सरपंच बनने के बाद फूलाबाई के सामने शराब बंदी का वायदा निभाने की जिम्मेदारी थी। उन्होंने एसपी को ज्ञापन देकर गांव की सभी अवैध शराब दुकानों को बंद करवाने की मांग की, साथ ही महिलाओं को इकठ्ठा कर शराब दुकानों के सामने प्रदर्शन किया। नतीजतन प्रशासन को उन दुकानों पर छापे डालने पड़े। आज यहां की सभी शराब दुकानें बंद हो चुकी है।
रतलाम जिले की ग्राम पंचायत बंजाली की उपसरपंच ताराबाई ने महिलाओं को संगठित कर गांव में शराबबंदी की मांग की, जिससे पंचायत को शराबबंदी का फैसला लेना पड़ा। अब इस पंचायत में शराब पीने वालों को 100 रूपए जुर्माना देना पड़ता है।
इसी जिले की ग्राम पंचायत आलमपुर ठिकरिया में 15 अगस्त 2015 को लोगों ने गांव को शराब से मुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए गांव की महिलाओं ने अवैध शराब दुकानों पर छापे मारकर पूरी शराब नाली में बहा दी और शराब बेचने वालों पर 11 हजार रूपए का जुर्माना लगाया। महिलाएं पांच-पांच के समूह में गांव में घूमती है और शराब पीने वालों को पकड़ती है।
इन्दौर जिले की मानपुर तहसील के रामपुरिया खुर्द गांव में भी लोग शराब पीकर गांव में घुसने की हिम्मत नहीं करते। यहां की सरपंच मीरा नायर गांव की 11 महिला पंचों के साथ गश्त करते हुए निगरानी करती है। इस दौरान यदि उन्हें कोई व्यक्ति शराब के नशे में मिल जाए तो उसे नशा उतरने तक गांव से बाहर रहना पड़ता है, साथ ही 100 जुमार्ना लगाया जाता है। एक ही व्यक्ति यदि यह गलती बार-बार करें तो उससे दुगना या तिगुना जुर्माना वसूला जाता है।
सागर जिले के भैंसा गांव में शराबियों का इतना आतंक था कि महिलाएं घर से बाहर निकलने में डरती थी। आज उमा अहिरवार के नाम से शराबी डरते हैं। उमा ने गांव की शराब पीड़ित महिलाओं को संगठित किया और अवैध शराब दुकानों पर छापा मारा। गांव मे उमा के पति की भी अवैध शराब की दुकान थीं। उसने गांव की महिलाओं के साथ मिलकर अपने पति की दुकान भी तोड़ दी।
इस तरह महिला पंच-सरपंच तथा ग्रामीण महिलाओं ने अपने यहां शराबबंदी लागू कर प्रदेश सरकार को आईना दिखाया है। वे कहती है कि सरकार के पास बहुत अधिकार है, पुलिस है, फौज है, लेकिन शराब रोकने की हिम्मत नहीं है। हम अधिकार विहीन होते हुए भी शराब रोकने की हिम्मत रखती हैं।
राजेन्द्र बंधु
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