
सिरस्वाहा बांध 32 करोड़ से बना था इसमें अन्य खर्च जोड़कर 58 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी थी। वहीं, बिलखुरा बांध में भी 11 करोड़ खर्च हुए है। ये दोनों बांध पूरी तरह से टूट गए हैं। इसके साथ ही नचनौरा और दोभा बांध को बचाने के लिए उनमें कट लगाकर बांध से पानी निकाला गया ताकि इनको बचाया जा सके। विधायक मुकेश नायक ने इस मामले की जांच की मांग की है।
अब एसीएस राधेश्याम जुलानिया और प्रमुख अभियंता एमजी चौबे इन बांधों को तेज बारिश की वजह से टूटना बता रहे हैं। उनका कहना है कि बांध निर्माणाधीन होने की वजह से टूटे है। सवाल यह है कि क्या उनके बांध इतनी भी बारिश सहन करने की स्थिति में नहीं थे। यदि वो निर्माणाधीन थे तो पेमेंट कैसे हो गया। कुल मिलाकर अफसरशाही संदेह के दायरे में है। खुद को बचाने के लिए बहानेबाजी की जा रही है।