सादिक खान/स्टार समाचार/पन्ना। मामला उसी ठेकेदार का है जिसे लेकर विधानसभा में तीखी नौंकझोंक हो चुकी है। पहली बारिश में स्वाहा हुए 33 करोड़ के सिरस्वाहा बांध के ठेकेदार पर अफसरों के अतिरिक्त रहमोकरम फाइलों में दर्ज हैं। बांध का काम जारी था, 17 किलोमीटर की नहरें बनना बाकी थी। फिर भी कार्यपालन यंत्री धीरेन्द्र खरे ने ठेकेदार की अमानत राशि 60 लाख रुपए उन्हें वापस लौटा दी जबकि नियमानुसार यह रकम काम पूर्ण होने और टैस्टिंग के समाप्त होने के बाद भुगतान की जाती है। अब इस गंभीर वित्तीय अनियमितता पर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी स्पष्ट तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहे है। विश्वस्त सूत्रों की मानेें तो कमीशन के चक्कर में अमानत राशि रिलीज करने का कारनामा किया गया है।
जल संसाधन विभाग के नियमानुसार के ठेकेदार से कार्य के अनुबंध के समय 5 प्रतिशत अमानत राशि (सिक्योरिटी डिपोजिट) जमा कराई जाती है। उसके पश्चात् ठेकेदार के प्रत्येक बिल भुगतान से 5 प्रतिशत राशि की कटौती की जाती है। यह राशि कार्य पूर्णता के पश्चात् सीसी प्रमाण पत्र जारी होने के बाद ठेकेदार अथवा संबंधित फर्म को जारी की जाती है। सिरस्वाहा बांध का कार्य पूर्ण होने के पूर्व ही ठेकेदार से सांठगांठ कर निलंबित कार्यपालन यंत्री धीरेन्द्र खरे द्वारा अमानत राशि रिलीज कर वित्तीय नियमों का खुला उल्लंघन किया गया है।
गौरतलब है कि हाल ही फूटकर बहे सिरस्वाहा बांध की जमीनी स्थिति यह है कि इसकी नहरों की खुदाई का कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ है। उधर बांध का भी काफी कार्य शेष है। संयोग से सिरस्वाहा बांध के फूटने के बाद से विभाग के अंदरखाने में एफडी राशि को लेकर हड़कम्प मचा है। भले ही निर्माण एजेन्सी मेसर्स त्रिशूल कन्स्ट्रक्शन जबलपुर ने अपने खर्च पर फूटे हुए बांध का सुधार करने की हामी भर दी है, लेकिन अमानत राशि के रूप में जमा की जाने वाली 5 प्रतिशत राशि इन्हीं विषम परिस्थितियों के लिए सुरक्षित रखी जाती है। इसके पीछे मंशा यह रहती है कि अगर ठेकेदार निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात् सुधार कार्य करने से हाथ खड़े करता है तो ऐसी स्थिति में विभागीय तकनीकि अधिकारी उसकी जमा आमानत राशि से सुधार कार्य करा सकते है।
मैन्यूवल बिल बनाकर किया भुगतान
जल संसाधन विभाग में भुगतान की ई-मेजरमेण्ट प्रक्रिया प्रचलन में है। बावजूद इसके 25 मार्च 2015 को तत्कालीन कार्यपालन यंत्री धीरेन्द्र खरे द्वारा मेन्यूल बिल तैयार कर सिरस्वाहा बांध के ठेकेदार 1 करोड़ 99 लाख का भुगतान गलत तरीके से किया गया। मजेदार बात यह है कि भुगतान की गई राशि का ई-मेजरमेण्ट 28 मार्च 2015 को किया गया है। अर्थात बिल ई-मेजरमेण्ट की प्रकिया से जनरेट होने के पहले ही ठेकेदार को करोड़ों रूपये का भुगतान कर दिया गया। प्रक्रिया का पालन न कर जल्दबाजी में इतना बड़ा भुगतान करने से जाहिर है कि साहब ने निहित स्वार्थ पूर्ति के लिए नियम-कानूनों को दरकिनार किया है।
फैक्ट फाईल
योजना का नाम: सिरस्वाहा बांध
कार्य का मद: बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज
प्रषासकीय स्वीकृति: 11 जुलाई 2012
कार्य की लागत: 32 करोड़ 79 लाख
ठेकेदार का नाम: मे. त्रिसूल कन्स्ट्रक्शन, जबलपुर
भुगतान की गई राशि: 26 करोड़ 51 लाख
सिंचाई क्षमता: 1719 हैक्टेयर