PMEGP: मोदी खुद लोन नहीं दिलवा पाए, आम युवा का क्या होगा

नईदिल्ली। इस मामले ने प्रधानमंत्री मोदी की साख पर बट्टा लगा दिया है। पीएमओ की कार्यप्रणाली पर सवाल दर्ज करा दिया है। जिस युवक के मोदी खुद फेन हैं, जिसके लोन के लिए मोदी ने खुद सिफारिश की, बैंक आॅफ बड़ौदा के गोविंदनगर रीजनल मैनजर ने उसे ही उल्लू बना दिया। सवाल यह है कि मोदी की सिफारिश के बावजूद वो दर दर भटकता रहा, पीएमओ क्या कर रहा था। या फिर प्रधानमंत्री ने ऐसा कुछ इशारा कर रखा है। विषय 'मेक इन इंडिया' का है। योजना का नाम है प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी)। सब्सिडी सरकार को देनी है, सिफारिश पीएम ने की है। बावजूद इसके लोन नहीं दिया गया। 

यह है पूरा मामला 
कानपुर के एक बढ़ई संदीप सोनी ने साढ़े तीन साल की मेहनत के बाद लकड़ी की शीट के 32 पन्नों पर श्रीमदभागवत गीता के 18 अध्याय और 706 श्लोक लिखे थे। जिसे उसने दिल्ली में 8 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिखाया था। प्रधानमंत्री मोदी ने संदीप की तारीफ तो की ही थी साथ ही उसके साथ अपना फोटो ट्विटर पर भी शेयर किया था।

मांगी मदद 
प्रधानमंत्री से संदीप ने कहा था कि वह अपनी इस कारपेंटर के काम को कौशल विकास योजना के तहत बढ़ाना चाहता है और एक छोटा सा कारखाना खोलना चाहता है जिसमें वह बेरोजगार युवाओं का कौशल विकास करना चाहता है जिस पर प्रधानमंत्री ने उसे मदद करने का पूरा आश्वासन दिया था। 

पहला अधिकारी मिला 
कानपुर के बर्रा इलाके में रहने वाले संदीप सोनी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने उसे पीएमओ में एक अधिकारी से मिलने भेजा। उस अधिकारी ने उसकी सारी योजना को समझा तथा शीघ्र ही प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उसकी मदद का आश्वासन दिया। उसके बाद वह कानपुर लौट आया।

दूसरे अधिकारी का फोन आया 
दिल्ली से आने के पांच दिनों बाद कानपुर के राष्ट्रीय लघु उदयोग निगम (एनएसआईसी) के एक अधिकारी का फोन आया और उन्होंने उससे मिल कर उसकी पूरी योजना को समझा तथा उसकी योजना का एक पूरा प्रोजेक्ट उससे बनवाया। इस प्रोजेक्ट का खर्च करीब 25 लाख रूपए का था।संदीप द्वारा प्रोजेक्ट की फाइल बनाये जाने के बाद एनसआईसी के अधिकारी राकेश केसरवानी ने इस प्रोजेक्ट को जिला उदयोग केंद्र कानपुर (डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर) को भेजा जहां उपायुक्त (असिस्टेंट कमिश्नर) अनिल कुमार ने इस प्रोजेक्ट को मई माह में बैंक ऑफ बड़ौदा को भेज दिया।

बैंक ने शुरू किए नखरे 
संदीप ने बताया कि जब वह बैंक पहुंचा तो बैंक ने पहले उससे जहां उद्योग लगाना चाहता है उस स्थान का 11 महीने का किरायेदारी का एग्रीमेंट बनवा कर लाने को कहा, जो उसने बनावाकर बैंक को दे दिया। बैंक ने उसे 10 दिन बाद बुलाया। जब वह दस दिन बाद बैंक गया तो उससे किरायेदारी का पांच साल का एग्रीमेंट बनवाने और बिजली का पांच किलोवाट का कनेक्शन लेने को कहा गया। बेरोजगार संदीप ने किसी तरह से पांच साल का किरायेदारी का एग्रीमेंट बनवाकर बैंक को दे दिया तथा मई महीने से नौ हजार रुपये महीने किराया भी देने लगा। 

बैंक ने उल्लू बना दिया
इसके बाद 14 जुलाई 2016 को बैंक ऑफ बड़ौदा ने उसे 25 लाख रुपये का सामान्य ऋण स्वीकृत कर दिया लेकिन इसमें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का कहीं नाम नहीं था। संदीप जब यह लोन सैंक्शन का कागज लेकर एनएसआईसी के अधिकारियों के पास गया तो उन्होंने कहा कि यह तो आम जनता को मिलने वाला सामान्य लोन है। इस पर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत मिलने वाली सब्सिडी उसे नहीं मिलेगी। यह सुनकर संदीप के होश उड़ गये और वह फिर बैंक के चक्कर लगा रहा हैं लेकिन बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारी बाद में आना कह कर उसे टरका रहे हैं।

फालोअप नहीं किया, अब दिखवाता हूं
इस बारे में जब एनएसआईसी के मैनेजर राकेश केशरवानी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके विभाग को प्रधानमंत्री कार्यालय से चिट्ठी आई थी जिसके बाद उन्होंने संदीप को प्रोजेक्ट बनवाने में मदद की थी तथा उसके बाद जिला उदयोग केंद्र को उसकी फाइल भेज दी थी। इस पर डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर कानपुर के असिस्टेंट कमिश्नर अनिल कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने तो संदीप के प्रोजेक्ट को मंजूरी देते हुये इसकी फाइल तैयार करके बैंक ऑफ बड़ौदा को भेज दी थी, अगर अभी तक कुछ नहीं हुआ है तो एक बार फिर बैंक के अधिकारियों से बात करेंगे। 

बहुत बिजी हूं, फिर भी देखता हूं
इस पर बैंक ऑफ बड़ौदा गोविंदनगर के रीजनल मैनजर संजय निगम से बात की तो उन्होंने कहा कि संदीप को लोन पास कर दिया गया है लेकिन जब उनसे कहा गया कि उसे तो सामान्य लोन दिया गया है न कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत, इससे संदीप को सब्सिडी नहीं मिलेंगी। इस पर उन्होंने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे कि कहां गड़बड़ हुई है। उन्होंने कहा कि उनके पास बहुत से काम रहते हैं, फिर भी वह इस मामले को प्राथमिकता से देखेंगे।

अब क्या करूं, समझ नहीं आ रहा
उधर बेरोजगार संदीप का कहना है कि ‘‘साहब प्रधानमंत्री मोदी ने तो मेरी मदद का आश्वासन दिया था और पीएमओ के अधिकारियों ने कानपुर के अधिकारियों को मेरे काम के लिये चिट्ठी भी लिखी थी लेकिन यहां बैंक और अन्य विभागों के अधिकारी पिछले चार माह से मुझे दौड़ा रहे है और मैं उधार पैसा लेकर उनके बताये हुये कागज बनवा रहा हूं लेकिन उसके बाद भी मुझे अभी तक एक भी पैसा नहीं दिया गया है।

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