नईदिल्ली। पिछले काफी दिनों से सुर्खियों में रहे किंगफिशर के मालिक विजय माल्या के संदर्भ में आरबीआई ने आरटीआई के जबाव में एक चौंकाने वाला जबाव दिया है। आरबीआई ने जींद, हरियाणा के एक युवक अजय मलिक द्वारा डाली गई आरटीआई के जबाव में कहा है कि विजय माल्या को बैंक ने लोन देते समय क्या प्रक्रिया अपनाई और उक्त बैंकों ने उसके खिलाफ क्या कार्रवाई अमल में लाई है, इसके बारे में कोई जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है। इतना ही नहीं आरबीआई ने इसी आरटीआई में पूछे गए एक प्रश्र के जबाव में गोपनीयता का हवाला देते हुए डिफाल्टरों की सूची भी देने से इंकार कर दिया है।
हाल ही में जींद के एक युवक अजय मलिक ने आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) पर एक आरटीआई डाली। जिसमें उन्होंने विजय माल्या के संदर्भ में कुछ प्रश्र किए। आरटीआई में पूछा कि बैंकों ने विजय माल्या को लोन देते समय क्या प्रक्रिया अपनाई। इसके अलावा विजय माल्या से लोन रिकवरी में बैंको ने कौन सी प्रक्रिया अपनाई, इसकी जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
आरबीआई ने इस आरटीआई का जबाव देते हुए कहा है कि मांगी गई जानकारी विभाग के पास नहीं है। इतना ही नहीं आरबीआई ने डिफाल्टरों की सूची भी गोपनीयता का हवाला देते हुए देने से मना कर दी है। सूचना के अधिकार के तहत 100 करोड़ से अधिक वाले डिफाल्टरों की सूची मांगी गई तो रिजर्व बैंक की ओर से जानकारी दी गई कि बैंकों व वित्तिय संस्थाओं को दिसंबर 2014 से डिफाल्टरों की जानकारी सीआईसी को सूचित करने को कहा गया है न कि रिजर्व बैंक को। वहीं 1000 करोड़ से ऊपर वाले डिफाल्टरों पर जबाव मिला कि यह सूचना गोपनीय है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45 सी के अंतर्गत इसका खुलासा नहीं किया जा सकता।
जबकि आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय पहले बैंको को डिफाल्टरों की सूची सार्वजनिक करने के लिए कहा था। आरटीआई कार्यकर्ता अजय मलिक से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि जब छोटे ऋणकर्ता की सूचना सार्वजनिक हो सकती है तो फिर बड़े ऋण लेने वालों की सूची सार्वजनिक क्यों नहीं की जा सकती। ये कानून देश में अमीर और गरीब में असमानता फैलाता है।
ajay malik -8295898366 jind (hry)