भोपाल। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) में प्रतिनियुक्ति पर आए जल संसाधन व लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों को हटाया जाएगा। इसके लिए जिलेवार समीक्षा करके इंजीनियरों को मूल विभागों में वापस भेजा जाएगा। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में 15 लाख से अधिक के काम अब ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) करेगी।
इसके लिए सरकार ने आरईएस को विभागाध्यक्ष के पावर देने का सैद्धांतिक फैसला किया है। इससे आरईएस के प्रमुख अभियंता न सिर्फ तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की पदस्थापना करने के साथ कार्रवाई भी कर सकेंगे, वहीं कुछ सब-डिवीजन को भी खत्म कर दिया है। यहां पदस्थ इंजीनियरों को कार्यपालन यंत्री कार्यालय में पदस्थ किया गया है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में चले आ रहे सरकारी ढर्रे को खत्म करने के लिए अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया ने इसे विभागाध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव को विभागीय मंत्री गोपाल भार्गव ने प्रशासनिक स्वीकृति दे दी है।
अब मामले को वित्त विभाग की सहमति से लागू किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अभी तक आरईएस को छोटे-छोटे काम के लिए विकास आयुक्त कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। किसी इंजीनियर या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करनी है तो पहले विकास आयुक्त की इजाजत लेनी होती है। इसके कारण काम प्रभावित होता है। विभागाध्यक्ष का दर्जा नहीं होने से दूसरे विभाग सीधे बजट नहीं दे पाते है।
विकास आयुक्त कार्यालय से होता हुआ बजट आरईएस को मिलता है। 15 लाख से अधिक के सभी काम अब आरईएस करेगी। वहीं, प्रतिनियुक्ति पर आरईएस, मनरेगा या अन्य जगह पदस्थ जल संसाधन व लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों की सेवाएं लौटने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए जिलेवार समीक्षा की जाएगी। नई व्यवस्था के तहत सब डिवीजन की जगह पूरा काम कार्यपालन यंत्री कार्यालय से होगा। डिवीजन में पदस्थ इंजीनियर भी अब इन्हीं कार्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा।