इंदौर। यूपी के बनारस से पढ़ाई करने आए रितुराज को माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी ने 80.52 लाख का पैकेज दिया है। ऋतुराज बनारस के मध्यमवर्गीय परिवार से आता है। घरवाले उसे नियमित रूप से पैसे भेजते थे परंतु वो जरूरतों के हिसाब से पूरे नहीं पढ़ते थे। आर्थिक तंगी के चलते ऋतुराज ने अपनी पढ़ाई नहीं रोकी बल्कि दोस्तों को अपने हिस्से के फूड कूपन बेचे, कई बार मंदिरों में जाकर खाना खाया लेकिन पढ़ाई की और आज ईसी ब्रांच के इस इंजीनियरिंग स्टूडेंट को माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी ने वॉशिंगटन ऑफिस में बतौर प्रोग्राम मैनेजर अपनी सेवाएं देने के लिए बुलाया है।
स्कूल में कभी टॉपर नहीं रहा
रितुराज बताते हैं कि स्कूल में मैं हमेशा एक औसत ही था, लेकिन पापा प्रदीप कुमार सिंह, जो खुद आईआईटी पासआउट हैं व छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं, हमेशा कहा करते थे कि रट कर 90 प्रतिशत हासिल करने से बेहतर है कि कंसेप्ट को समझकर 50 प्रतिशत ही हासिल कर लो।
10वीं तक कम्प्यूटर नहीं आता था
रितुराज ने कहा कि स्कूल के समय में मुझे कम्प्यूटर में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। एक बार 10वीं कक्षा में कम्प्यूटर टीचर ने यहां तक कह दिया था कि कभी बाहर किसी को बताना नहीं कि तुम मेरे स्टूडेंट हो। रितुराज ने बताया कि मुझे सपोर्ट करने के लिए मम्मी मधु सिंह ने अच्छी शिक्षा हासिल होने के बाद भी जॉब नहीं की।
60 देशों के टेक्नोक्रेट्स का किया प्रतिनिधित्व
रितुराज ने बताया पिछले वर्ष उन्हें माइक्रोसॉफ्ट के एक प्रोग्राम के तहत अमेरिका बुलाया गया था। इस प्रोग्राम में माइक्रोसॉफ्ट ने 60 देशों के सबसे बेहतरीन टेक्नोके्रट्स को अमेरिका आमंत्रित किया थाा। भारत से चयनित होने वाले रितुराज एकमात्र छात्र थे।
अमेरिका में 60 टेक्नोक्रेट्स का प्रतिनिधित्व रितुराज को दिया गया था। वहीं पर उन्होंने 8 घंटे में 10 साल से कम उम्र के प्रोग्रामिंग न जानने वाले 18 हजार बच्चों को एकसाथ प्रोग्रामिंग सिखाई थी। 8 घंटे की ट्रेनिंग के बाद ही सभी बच्चों ने एक सॉफ्टवेयर और एक कम्प्यूटर गेम की प्रोग्रामिंग की थी। इसके बाद रितुराज माइक्रोसॉफ्ट वुमंस इनटेक प्रोग्राम से जुड़े और 40 हजार महिलाओं को आईटी सेक्टर से जोड़ा। उनकी इस परफॉर्मेंस के बाद ही माइक्रोसॉफ्ट ने उन्हें जॉब के लिए आमंत्रित किया।
22 की उम्र में हासिल की ये उपलब्धियां
- आठ घंटे में 10 साल से भी कम उम्र के 18 हजार बच्चों को कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग सिखाई। सबसे कम समय में अधिकतम लोगों को कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग सिखाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड।
- 500 से अधिक स्टार्टअप्स के मेंटर
- वुमन इनटेक प्रोग्राम में 40 हजार वुमंस को आईटी सेक्टर से जोड़ा
- 22 साल की उम्र में 20 पेटेंट और 100 से अधिक सॉफ्टवेयर बनाए।
- दो स्टार्टअप्स भी शुरू किए।