भोपाल। परिवहन आरक्षक भर्ती कांड में व्यापमं ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को दस्तावेजी क्लीनचिट दे दी है। व्यापमं ने इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत सर्टिफाइड कर सीबीआई को सौंपे दस्तावेजों में यह दावा किया है कि वर्ष 2012 में आयोजित परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा में महाराष्ट्र के गोंदिया जिले से किसी भी उम्मीदवार का चयन नहीं हुआ।
याद दिला दें कि इस मामले में शिवराज सिंह चौहान एवं उनकी पत्नी साधना सिंह आरोपों की जद में हैं। गोंदिया श्री शिवराज सिंह की ससुराल है और आरोप है कि उन्होंने नियमों को तोड़कर अपनी ससुराल के लोगों को परिवहन आरक्षक की नौकरी दिलवाई।
इस रिपोर्ट के अनुसार परीक्षा में गोंदिया से सिर्फ पांच अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, इनमें से तीन लोग परीक्षा में पास नहीं हो पाए थे, जबकि शेष दो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए।
मामले में खासा हंगामा हुआ था और एसटीएफ ने एफआईआर भी दर्ज की थी। बाद में व्यापमं परीक्षा घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने इस मामले में पड़ताल की और दो महीने पहले ही जांच टीम गोंदिया भी गई थी। दस्तावेजों के अनुसार जांच में यह निकलकर आया है कि परीक्षा में गोंदिया जिले से किसी की भर्ती ही नहीं हुई।
इन्होंने दी थी परीक्षा
जो जानकारी प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के प्रोग्रामर द्वारा इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत दी गई, उसके अनुसार परीक्षा में गोंदिया जिले से योगेश यंत्रे, देवेंद्र सिंह काच्छव्य, विशाल चिचले, शैलेश बोलकर और सीताराम ठाकरे ने ही आवेदन किया था। इनमें से शैलेश बोरकर और सीताराम ठाकरे तो परीक्षा में सम्मिलित ही नहीं हुए, जबकि योगेश (30 अंक), देवेंद्र (29 अंक) और विशाल (28 अंक) फेल हो गए थे।
कांग्रेस अपने आरोपों पर कायम: मिश्रा
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का दावा है कि भर्तियां तो हुई हैं। गोंदिया के अभ्यर्थियों के नाम पर नहीं पर वहां के उम्मीदवारों को अन्य जिलों से फॉर्म भरवाकर। हम अब भी अपने आरोपों पर कायम हैं और साबित भी करेंगे। यदि परीक्षा में सब कुछ सही था तो एसटीएफ ने 38 लोगों पर एफआईआर क्यों दर्ज की, क्यों 42 परिवहन आरक्षकों को बर्खास्त किया गया। जब पद 198 लोगों के थे तो 332 लोगों की नियुक्ति कैसे हुई, किसने प्रशासकीय स्वीकृति दी।