भोपाल। भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खां के परिवार की 2600 एकड़ जमीन शत्रु संपत्ति कार्यालय ने जांच के दायरे में ले ली है। शत्रु संपत्ति कार्यालय ने नवाब हमीदुल्ला की बड़ी बेटी गौहर ताज आबिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी घोषित किए जाने को आधार मानकर यह कार्रवाई शुरू की है। शत्रु संपत्ति कार्यालय केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करता है। शत्रु संपत्ति कानून के तहत शत्रु देश (जैसे पाकिस्तान) में रहने वाले व्यक्ति की संपत्ति को नियंत्रण में लेकर इसकी देखरेख व बेचने का हक सरकार ले लेती है। बॉलीवुड स्टार सैफ अली खान को भी नोटिस जारी कर पूछा है कि नवाब परिवार की भोपाल में कहां कितनी प्रॉपर्टी है? सैफ नवाब हमीदुल्ला खां के पड़पोते हैं।
गौर तलब है कि भोपाल में नवाब खानदान की पूरी प्रॉपर्टी हमीदुल्ला के नाम थी। 1962 में नवाब की मृत्यु के बाद उनकी मंझली बेटी साजिदा सुल्तान को उत्तराधिकारी बनाया गया। नवाब की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान वर्ष 1950 में पाकिस्तान चली गईं थी। ऐसे में पाकिस्तान में रहने वाली उनकी बड़ी बेटी आबिदा को उत्तराधिकारी बताते हुए शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 के तहत कार्रवाई की जा रही है।
भोपाल जिला प्रशासन ने नवाब के परिवार की राजधानी में स्थित पूरी संपत्ति का ब्योरा भी तैयार कर लिया है। अब शत्रु संपत्ति कार्यालय यह पता करने की तैयारी कर रहा है कि इस प्रॉपर्टी की मौजूदा स्थिति क्या है और इसका मालिकाना हक किसके पास है? प्रशासन के इन कदमों से भोपाल में नवाब परिवार से जुड़ी और खरीदी गई पूरी प्रॉपर्टी जांच के दायरे में आ गई है। अगले कुछ हफ्तों में शत्रु संपत्ति कार्यालय प्रॉपर्टी की मौजूदा स्थिति का सर्वे भी शुरू करेगा। इसके लिए रिटायर्ड तहसीलदार, नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षकों व पटवारियों की सेवाएं ली जा रही हैं। संभवत: अगले महीने से यह काम शुरू हो जाएगा। नवाब हमीदुल्ला की बेटी राबिया के वकील एनसी दास ने नवाब की प्रॉपर्टी को शत्रु संपत्ति मानने पर एतराज जताया है। वहीं, भोपाल नगर निगम के पूर्व आयुक्त देवीसरन के मुताबिक, नवाब की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान वर्ष 1950 में पाकिस्तान चली गईं थी। आबिदा को पाकिस्तानी नागरिक मानते हुए नवाब की संपत्ति को शत्रु संपत्ति बताने की कोशिश ठीक नहीं है. वैसे भी वर्तमान में नवाब की संपत्ति पर क्रिकेटर मंसूर अली खां पटौदी की बेगम शर्मिला टैगोर और उनकी संतान काबिज हैं। वे हिन्दुस्तान के ही निवासी हैं. ऐसे में इस प्रक्रिया का कोई अर्थ नहीं है।