नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने रविवार (3 जुलाई) को हनुमान का एक ‘अवैध’ मंदिर गिराने की कार्रवाई शुरू तो की, पर विरोध प्रदर्शन के बाद तभी के तभी रोक भी दिया। बीजेपी, शिव सेना, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के लोग उस मंदिर को तोड़ने से रोकने के लिए महादेव घाट पर एकत्रित हो गए थे, वहीं पर यह मंदिर बना हुआ है। इन लोगों ने अलावा वहां पर कांग्रेस के लोग भी दिखे जिनका कहना था कि वे भी मंदिर को तोड़ने के पक्ष में नहीं है।
क्या है मामला
15 मई को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से छत्तीसगढ़ के महादेव घाट पर बने इस मंदिर और 19 दुकानों को हटाने के ऑर्डर मिले थे। यह मंदिर छगन लाल गोविंद राम ट्रस्ट की तरफ से बनाया गया था। इस ट्रस्ट के प्रमुख विधान सभा के स्पीकर गौरी शंकर अग्रवाल हैं। कोर्ट के ऑर्डर में इस मंदिर को अवैध बताया गया था। इस मुद्दे ने ज्यादा तूल इसलिए पकड़ लिया क्योंकि यह विधानसभा के स्पीकर के ट्रस्ट ने बनाया था और उसके ‘प्राण प्रतिष्ठान’ में सीएम रमन सिंह भी पहुंचे थे। मई में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद बीजेपी के 34 विधायकों ने राज्य सरकार को मंदिर बचाने के लिए चिठ्ठी भी लिखी थी।
विधायकों की मांग को अनसुना करते हुए जिला प्रशासन की एक टीम रविवार (3 जुलाई) को मंदिर गिराने के लिए पहुंची थी। लोगों की भीड़ के आगे बेबस प्रशासन ने हालात बिगड़ने के डर से प्लान कैंसल कर दिया। इस मुद्दे पर फिलाहल सीएम रमन सिंह जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने के पक्ष में नजर आ रहे हैं वहीं बीजेपी के कई विधायक समेत कांग्रेस भी मंदिर को गिरने नहीं देना चाहती। अब सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर अगली कार्रवाई कब और क्या होगी यह साफ नहीं है।