इधर फीस बढ़ी, उधर सरकार ने स्कॉलरशिप आधी कर दी | Scholarship

Bhopal Samachar
भोपाल। मप्र के विभिन्न कॉलेजों में पढ़ रहे ओबीसी छात्रों के सामने अब पढ़ाई का संकट आ गया है। सरकार ने बीई, एमबीए, फॉर्मेसी, एमसीए सहित अन्य पाठ्यक्रमों के लिए मिलने वाली स्कॉलरशिप को घटाकर लगभग आधा कर दिया है। ऐसी स्थिति में छात्र फीस नहीं भर पा रहे हैं। उनके सामने पढ़ाई का संकट आ खड़ा हुआ है। 

अल्पसंख्यक आयोग ने 10 सितंबबर 2004 के पत्र का हवाला देते बीई, फॉर्मेसी के छात्रों को 2008 से मिल रही 41 हजार रुपए की छात्रवृत्ति घटाकर इस साल बीई की 22,300 और फॉर्मेसी की 23,600 रुपए कर दी है। यह स्थिति तब है, जब इंजीनियरिंग, फॉर्मेसी सहित अन्य पाठ्यक्रमों की फीस बढ़ चुकी है। प्रदेश में ओबीसी के 30 हजार से अधिक छात्र तकनीकि व व्यवसायिक कोर्स की पढ़ाई करते हैं।

वर्ष 2008 में बढ़ी थी स्कॉलरशिप
इंजीनियरिंग, फॉर्मेसी, सहित अन्य तकनीकि और व्यवसायिक कोर्स की पढ़ाई करने वाले छात्रों को वर्ष 2008 के पहले सालाना करीब 12 हजार रपए छात्रवृत्ति मिलती थी। इसके बाद इंजीनियरिंग की फीस बढ़ी तो छात्रवृत्ति भी बढ़ा दी थी, जो वर्ष 2013-14 तक मिली। इसके बाद 2014-15 से इसे घटा दिया गया। इसी तरह एससी की छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति भी 31 हजार से घटाकर 29,450 रुपए कर दी है। छात्रवृत्ति कम करने की वजह 12 साल पुराना आदेश बताया जा रहा है, जिससे गड़बड़ी की आशंका खड़ी हो गई है।

पढ़ाई छोड़ रहे छात्र
बीयू फॉर्मेसी के विभागाध्यक्ष प्रो. एके पाठक ने बताया कि 2010-11 में 60 छात्रों ने 41 हजार छात्रवृत्ति मिलने के चलते कोर्स में दाखिला लिया था। दो साल के बाद अचानक यह राशि कम कर दी गई। अब कई छात्र फीस नहीं देने की स्थिति में पढ़ाई छोड़ने का मन बना रहे हैं। विभाग ने इसकी शिकायत आयोग से करते हुए अभी छात्रों से फीस जमा नहीं करवाई है।

आयोग के अधिकारी सीधे तौर पर तो वजह नहीं बता रहे हैं, लेकिन यह बताया जा रहा है कि 2004 में जारी हुआ छात्रवृत्ति कम करने का आदेश अब लागू किया गया है। इधर फार्मेसी के छात्र मनीष कुमार का कहना है कि दाखिले के समय पूरी फीस छात्रवृत्ति से जमा होने की जानकारी दी गई थी। अब 20 हजार रुपए मांगे जा रहे हैं। ऐसे में हम पढ़ाई ही नहीं कर पाएंगे।

पहले क्या थी, अब क्या है
बीई: पहले 41 हजार अब 22300 हजार
फॉर्मेसी: पहले 41 हजार अब 23600 हजार
एमटेक: पहले 41 हजार अब 10 हजार
इनपुट: श्री रामगोपाल सिंह राजपूत, पत्रकार, भोपाल

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