
घोषणा के बाद शीला दीक्षित ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पार्टी ने मुझ पर जो विश्वास किया और जिम्मेदारी दी है मैं प्रार्थना करती हूं कि इसके लायक बनूं। मुझे यकीन है कि यूपी में कांग्रेस का नतीजा बेहतर होगा। हम सब मिलकर मेहनत करेंगे। यूपी में चुनौती बड़ी है लेकिन हम हिम्मत से जाएंगे और इस उम्मीद से जाएंगे कि इस बार हम अवश्य जीतेंगे। प्रियंका गांधी द्वारा प्रचार के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं चाहूंगी की प्रियंका यूपी में चुनाव प्रचार करें। एसीबी के समन पर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है।बता दें कि शीला दीक्षित उन्नाव की बहू हैं और उनके ससुर शंकर दीक्षित राज्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे हैं।
ससुर से सीखी सियासत, अब यूपी का दारोमदार
खुद शीला दीक्षित भी 1984 से लेकर 1989 तक कन्नौज से चुनाव लड़कर सांसद बनी हैं। माना जा रहा है कि शीला को चुनाव में कांग्रेस का चेहरा बनाने को लेकर कांग्रेस बड़ा दांव खेल रही है। राज्य में जातिगत समीकरणों को अपने पक्ष में करने के लिए उनका नाम चुना गया है। शीला ब्राम्हण समाज से आती हैं और ब्राम्हण वोटों को लुभाने के लिए उन्हें चेहरा बनाया जा रहा है।