
गांधीजी डरबन से प्रीटोरिया जा रहे थे, जब एक श्वेत ने प्रथम श्रेणी के डिब्बे में उनके चढ़ने पर आपत्ति की और उन्हें तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने को कहा गया। गांधीजी के पास प्रथम श्रेणी का वैध टिकट था और उन्होंने तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इनकार कर दिया। उसके बाद भयंकर सर्दी में पीटरमारिट्जबर्ग स्टेशन पर उन्हें ट्रेन से बाहर धकेल दिया गया। वह रातभर भयंकर ठंड में स्टेशन पर रूके रहे।
इस घटना ने दक्षिण अफ्रीका में ठहरकर वहां भारतीयों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव के विरूद्ध संघर्ष करने के गांधीजी के निर्णय में अहम भूमिका निभायी। दक्षिण अफ्रीका की आधिकारिक यात्रा पर यहां पहुंचे पीएम मोदी का आज का दिन महात्मा गांधी के नाम ही रहा।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने पेंट्रिक रेलवे स्टेशन से पीटरमारिट्जबर्ग तक की यात्रा की। गांधीजी ने जिस ट्रेन में यात्रा की थी, उसी से मिलती जुलती ट्रेन थी।’’ दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा के साथ वार्ता के बाद प्रधानमंत्री ने गांधी और नेल्सन मंडेला को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
मनमोहन भी कर चुके हैं सफर
ऐसा करने वाले नरेंद्र मोदी अकेले प्रधानमंत्री नहीं हैं। इससे पहले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भी साल 2006 में अपने दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर ट्रेन से सफर किया था। मनमोहन सिंह अपनी पत्नी के साथ पेंट्रिच रेलवे स्टेशन से पीटरमैरिट्सबर्ग तक ट्रेन से सफर किया था।