इंदौर। अभी एलईडी बल्ब का मार्केट शेयर 50 प्रतिशत भी नहीं हुआ और बाजार में नकली बल्ब आ गए। ये मप्र के इंदौर में बनते हैं। पुलिस की छापामार कार्रवाई में एक फैक्ट्री पकड़ी गई है। स्वभाविक है यह पहली और आखरी नहीं होगी।
एलईडी बल्ब डिस्ट्रीब्यूटर्स, निजी अक्षय ऊर्जा शॉप, मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कम्पनी के कार्यालय और पोस्ट-ऑफिस के जरिए प्रदेश भर में 9 वॉट के एलईडी बल्ब प्रति 85 रुपए की दर से बेचे जा रहे हैं। कुछ दिनों से रिप्लेसमेंट में कुछ एलईडी बल्ब ऐसे प्राप्त हुए, जिनमें शंका हुई। इन बल्बों का परीक्षण किया गया तो वे नकली पाए गए। परीक्षण में एलईडी बल्बों का वजन कम और अंदर के एलीमेंट भी मूल एलईडी बल्ब के अनुरूप नहीं पाए गए।
जांच में पाया गया कि एक कम्पनी बल्ब के कवर पर फर्जी तरीके से मुद्रण कर एलईडी बल्ब का वितरण बाजार में 60 रुपये की दर पर कर रही है। फर्जी कम्पनी को पकड़ने के लिए पुलिसकर्मी डमी ग्राहक बनकर 100 एलईडी बल्ब खरीदने गए। जांच में सभी बल्ब नकली पाए गए।
इसके बाद ऊर्जा निगम की पहल पर शहर के सेक्टर-54, विजय नगर में नकली बल्ब बनाने वाली फैक्ट्री पर छापा मारा गया। संबंधित कम्पनी के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है। वहीं, फैक्ट्री से गिरफ्तार किए गए हरिसिंह और विवेक पचोरिया से पुलिस पूछताछ कर रही है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश जिलों में केंद्र की उजाला योजना के तहत 9 वॉट का एलईडी बल्ब (100 ल्यूमेंन) उपभोक्ताओं को 85 रुपये में उपलब्ध करवाया जा रहा है. यह बल्ब सामान्य 100 वॉट के बल्ब के बराबर रोशनी देता है. इससे 51 प्रतिशत बिजली की बचत होती है. प्रदेश में आगामी 6 माह में 3 करोड़ एलईडी बल्ब का वितरण किया जाएगा।