
ये हाईमास्ट लेंप सिंहस्थ में आने वाले यात्रियों को रात में राह दिखाने के लिए लगाए जाने थे। सिंहस्थ विकास योजना के तहत शासन ने नगर पालिका को 78 लाख रुपए स्वीकृत किए थे, लेकिन नगरपालिका द्वारा समय रहते इस पैसे का उपयोग नहीं किया गया और इसका लाभ सिंहस्थ के यात्रियों को नहीं मिला। इसके अलावा भोपाल-इंदौर हाईवे मार्ग पर पर्याप्त रूप से स्ट्रीट लाइट नहीं लगाई गई हैं। जो लगी भी हुई हैं उसे बिजली कंपनी ने चालू नहीं किया।
इंदौर नाका चौराहे को माना जाता है डेंजर पाॅइंट
इंदौर नाका चौराहे को डेंजर पाइंट माना जाता है। यहां पर रोशनी के इंतजाम नहीं हैं। रोटरी या ब्रेकर नहीं होने से कब, कौनसा वाहन किधर जाएगा मालूम नहीं पड़ता है। इसी उधेड़बुन में वाहन चालक आपस में भिड़ जाते हैं। ऐसे में यहां हाईमास्ट होना बहुत जरूरी था।