नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में लॉ कमीशन को पड़ताल करने को कहा है। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब देश के सभी नागरिकों के लिए एक तरह का पर्सनल लॉ। कानून मंत्रालय ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर कोड को लागू करने के तरीकों पर सलाह मांगी है। केंद्र सरकार के इस कदम पर घमासान मच सकता है। कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने इस बात की पुष्टि की है।
ऐसा पहली बार हुआ है जब केंद्र सरकार ने लॉ कमीनशन से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पड़ताल करने को कहा है। मोदी सरकार ने कमीशन से कोड से रिलेटेड सभी पहलुओं की जांच करने को कहा है। आजादी के 6 दशक बीत जाने के बाद भी यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सहमति नहीं बन पाई है।
अभी हैं अलग-अलग कानून
अभी देश में हिंदु और मुसलमानों के लिए अलग-अलग निजी कानून हैं। जिसके तहत अलग-अलग धर्म में प्रॉपर्टी, शादी, तलाक और उत्तराधिकार के मामले आते हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहस होती रहती है। इसे अब तक अंतहीन बहस भी कहा जा सकता है। अलग-अलग लोग इसपर अलग-अलग राय रखते हैं।
क्या कहता है संविधान
संविधान के अनुच्छेद 44 के मुताबिक यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना राज्य की ड्यूटी है।
कब सबसे पहले हुई बहस
साल 1985 में शाह बानो केस के बाद यूनिफॉर्म सिविल कोड चर्चा में आया। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में शाह बानो के पूर्व पति को उसे गुजारा भत्ता देने को कहा था। उस वक्त राजीव गांधी की सरकार थी। कोर्ट ने कहा था कि पर्सनल लॉ में यूनिफॉर्म सिविल कोड शामिल होना चाहिए।