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दरअसल, मप्र में बाबूलाल गौर को फार्मूला 75 के तहत हटाया जाना संघ को रास नहीं आया है। संघ चाहता है कि गौर की सक्रियता का लाभ लिया जाए। इस तरह एक बेहद सक्रिय राजनेता को घर नहीं भेजा जा सकता। अब जबकि मप्र में उनके लिए कोई संभावना नहीं है और यूपी चुनाव की तैयारियां चल रहीं हैं तो एक प्रस्ताव यह भी है कि उनका यूपी में उपयोग किया जाए। वो जाति से यादव हैं, अत: सपा के यादव वोट को काटने में काम आएंगे। इस विषय पर लगभग सभी सहमत हो गए हैं परंतु बाबूलाल गौर स्टार प्रचारक नहीं हैं अत: उनका उपयोग कैसे किया जाए इस पर विचार किया जा रहा है। उम्र को ध्यान में रखते हुए उन्हें यूपी का राज्यपाल बनाने का प्रस्ताव फिलहाल चर्चा में है।
अब प्रश्न यह उठता है कि भले ही बाबूलाल गौर यूपी में जन्मे हों परंतु उनका राजनैतिक जीवन भोपाल, मप्र में बीता है तो क्या वो उस विधानसभा को छोड़ने के लिए तैयार हो जाएंगे जहां से वो लगातार 50 सालों से जीतते चले आ रहे हैं। माना जा रहा है कि उनके स्थान पर उनकी बहू कृष्णा गौर का पुनर्वास होगा। वे गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी और जीतीं तो मंत्रिमंडल में जगह भी मिलेगी। कहा जा रहा है कि बाबूलाल गौर ने सारे निर्णय पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिए हैं, जैसा निर्देश आएगा वैसा पालन किया जाएगा।