उपदेश अवस्थी/भोपाल। वो अकेला था जो आधीरात को अपने बंगले से निकला और अंधेरी रात में जिंदगी की जंग लड़ रहे बाढ़ में फंसे भोपालियों को बचाने में जुट गया। मेरे हित किसी सरकारी संस्थान से नहीं जुड़े इसलिए मैं खुलकर कह सकता हूं कि उस वक्त ना कोई माननीय था और ना ही कोई श्रीमान। केवल और केवल विश्वास सारंग था। जी हां, मैं वही हूं जिसने 2012 में लिखा था 'सारंग इतने बेशर्म कैसे हो गए' तब मुझे सारंग में एक मदहोश नेता दिखाई दिया था, आज एक संवेदनशील इंसान मिला है। वक्त बदल सकता है, व्यवहार भी बदल सकता है इसलिए लिख रहा हूं 'आज के रोज', लेकिन आज तो मानना ही पड़ेगा। कोई इंकार कर ही नहीं सकता। भोपाल को बचाने निकले विश्वास सारंग के योगदान पर।
सीएम शिवराज सिंह ने उन्हें सहकारिता, गैस राहत पुनर्वास (स्वतंत्र प्रभार) एवं पंचायत-ग्रामीण राज्य मंत्री बनाया है। जहां तक मैं उनके समर्थकों को जानता हूं, यह मौज का वक्त है। पार्टियां चलना चाहिए थीं परंतु ऐसा नहीं हुआ। किसी सरकारी तंत्र से उन्हें सूचना नहीं मिली, उनका अपना इंफार्मेशन नेटवर्क काम कर रहा था। हर इलाके की जानकारी लगातार दी जा रही थी। शायद किसी और नेता को भी मिल रही होगी। कुछ माननीयों के लिए तो सरकारी नेटवर्क भी काम करता है, गश्त करती पुलिस भी जानकारी दे ही रही होगी परंतु कोई बाहर नहीं निकला। सब, सुबह होने का इंतजार करते रहे। बहुत से कुछ ऐसे भी थे जो सीबीआई ऑफिस तक पैदल मार्च की तैयारियां कर रहे थे। ना किसी को मदद का हाथ बढ़ाया ना किसी का हालचाल पूछा।
विश्वास सारंग निकला। आधी और अंधेरी रात को निकला। बिना सरकारी तंत्र को साथ लिए। अपने कुछ सहयोगियों को बुलाया और जुट गया। अशोका गार्डन, महामाई का बाग, द्वारका नगर, शंकर नगर, चाणक्यपुरी चौराहा, कम्मो का बाग, गरम गड्डा, शंकराचार्य नगर, छोला, विजय नगर, खुशीपुरा, सेमरा, स्टेशन बजरिया, पद्मनाभ नगर, अन्ना नगर, सुभाष नगर और सुभाष नगर फाटक बस्ती बुरी तरह प्रभावित हैं, लोग फंसे हुए थे। सारंग को कुछ नहीं सूझा तो नाव बुलवा ली। जोखिम था लेकिन खुद सवार हुए और लोगों को बचाया।
सुबह होने के बाद जब बारिश थोड़ा कम हुई तो दर्जनों अति संवेदनशील भी बाहर निकले। मदद उन्होंने भी की लेकिन रात के अंधेरे में मौत की तरह दौड़ रहे पानी के बीच कूदने वाला विश्वास सारंग ही था। ऐसे सारंग को मेरा सलाम, उम्मीद है विश्वास कायम रहेगा।