नईदिल्ली। एक जमाने में इंटरनेट का दूसरा नाम रहा याहू 20 साल में ही बूढ़ा हो गया। वो अपने पैरों पर चल भी नहीं पा रहा था। उसे वेरीजोन कम्युनिकेशंस ने 4.83 अरब डालर में खरीद लिया है। याहू की लोकप्रियता और दुनिया भर में पैठ का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि याहू की मेल सर्विस पर आपके नाम का एड्रेस किसी भी कीमत पर नहीं मिलेगा। यहां तक कि . या _ लगाने के बाद भी मिल जाए तो लोग खुश हो जाते थे। डिक्शनरी का ऐसा कोई शब्द नहीं जिसमें @yahoo.com लगाकर आपको ईमेल एड्रेस मिल जाए।
इंटरनेट एक्सप्लोरर आने से पहले तक लोग याहू को ही इंटरनेट समझते थे। उन्हें याहू के अलावा कुछ आता ही नहीं था। आज भी दुनिया के लाखों कम्प्यूटरों में याहू होमपेज है लेकिन पिछले कुछ सालों से याहू लड़खड़ा रहा था। गूगल समेत कई कंपनियों ने उसे काफी पीछे धकेल दिया था।
ये पोर्टफोलियो शामिल नहीं
वेरीजोन ने एक बयान में कहा है कि इस सौदे में याहू की नकदी, अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग्स में इसके शेयर, याहू जापान में इसके शेयर, याहू के परिवर्तनीय नोट, कुछ छोटे निवेश तथा याहू के गैर-प्रमुख पेटेंट (एक्सकेलिबर पोर्टफोलियो) शामिल नहीं है। इसके अनुसार उक्त संपत्तियां याहू के पास ही बनी रहेंगी जो कि सौदा पूरा होने पर अपना नाम बदल लेगी।
2017 में पूरा होगा सौदा
वेरीजोन के साथ सौदे के बारे में याहू के शेयरधारकों, नियामकीय व अन्य मंजूरी ली जानी है। सौदा 2017 की पहली तिमाही में पूरा होने की उम्मीद है। तब तक याहू स्वतंत्र कंपनी के रूप में काम करती रहेगी।
1994 में जेरी यांग और डेविड फिलो ने की थी स्थापना
वेरीजोन के चेयरमैन व सीईओ लावेल मैकएडम ने कहा है,‘ याहू के अधिग्रहण से वेरीजोन एक शीर्ष वैश्विक मोबाइल मीडिया कंपनी के रूप में बहुत प्रतिस्पर्धी स्थिति में आ जाएगी। इससे डिजिटल विज्ञापन में हमारा राजस्व बढ़ेगा।’ उल्लेखनीय है कि याहू की स्थापना 1994 में दो छात्रों जेरी यांग व डेविड फिलो ने की थी।