भोपाल। अफसरशाही का शिकार हुईं केबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया अब अफसरों के प्रति मुखर हो गईं हैं। अब तक वो अफसरों को केवल मौके पर डपट दिया करतीं थीं, कभी कागजी कार्रवाई नहीं की परंतु अब उन्होंने अफसरों की शिकायत करना शुरू कर दिया है। शुरूआत मुख्य सचिव से की है।
प्रसंग था मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मंत्रियों, अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारियों की पहली संयुक्त बैठक का। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि फाइलों का मूवमेंट बना रहे। कोई भी फाइल 8 दिन से ज्यादा न अफसरों को और न ही मंत्रियों को रखनी चाहिए।
मुख्यमंत्री के इतना कहते ही, खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया खड़ी हुईं और मुख्य सचिव की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक अफसर से छह करोड़ रुपए के रिकवरी की फाइल इनके पास मैंने अगस्त 2015 में भेजी थी। जुलाई तक फाइल उनके पास रही, क्या यही है जवाबदारी। इसके बाद बैठक में खामोशी छा गई। सीधे मुख्य सचिव टारगेट हो जाएंगे यह उम्मीद किसी को नहीं थी। थोड़ी देर बाद बात को संभाते हुए सीएम ने कहा 'इसीलिए तो फाइल मूवमेंट की बात कर रहे हैं।'
याद दिला दें कि उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान की यशोधरा राजे सिंधिया से कभी नहीं बनती थी। सुलेमान ने इस संदर्भ में सभी मंचों पर शिकायत की। मुख्य सचिव को अवगत कराया तो सीएम को भी जाकर शिकायत की। इतना ही नहीं, मंत्रालय से नाराज उद्योगपतियों को भी फीड किया गया कि यशोधरा राजे सिंधिया के कारण समस्या हो रही है। नतीजा उन्होंने भी सीएम से सिंधिया की शिकायत कर दी। कहा जा रहा है कि इन्ही शिकायतों के चलते यशोधरा राजे सिंधिया से उद्योग विभाग वापस ले लिया। इस मामले में गौर करने वाली बात यह है कि मंत्री यशोधरा राजे ने विवाद होने के बावजूद अपने प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान की शिकायत नहीं की।