जबलपुर। मप्र के सोलर पैनल घोटाला मामले में दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मप्र शासन एवं ऊर्जा विकास निगम से हर हाल में 10 के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के सख्त आदेश जारी किए हैं। बता दें कि सोलर पैनल टेंडर में लास्ट टाइम टेंडर की शर्तें बदल दी गईं थीं, जिसके कारण सप्लाई बदल गई और कई हादसे भी हुए।
शुक्रवार को को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस अनुराग कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ में मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता इंदौर के आरटीआई एक्टिविस्ट सुशील लेवी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी व थमन खड़का ने पक्ष रखा।
1100 से 800 वॉट कैसे किया
उन्होंने दलील दी कि मध्यप्रदेश की सभी शासकीय अस्पतालों में सोलर पैनल लगाने के लिए मध्यप्रदेश पॉवर जेनरेटिंग कंपनी ने टेंडर जारी किए थे। ऑपरेशन थियेटर और नवजात शिशु वार्ड में बिजली गोल होने की दशा में सोलर पैनल के जरिए बिजली की आपूर्ति निर्बाध रखे जाने की मंशा से सोलर पैनल का प्रावधान किया गया। निविदा की तकनीकी शर्त के मुताबिक 1100 वॉट के उपकरण लगाए जाने थे, जो मनमाने तरीके से घटाकर महज 800 वॉट कर दिए गए।
इस वजह से राज्य की कई शासकीय अस्पतालों में सोलर पैनल फेल हो गए। एक घंटे की जगह महज 45 मिनट में सोलर पैनल फीके पड़ने लगे। इससे इंदौर सहित अन्य शहरों की अस्पतालों में मरीजों को परेशानी और उनकी जान पर बन आने की दुर्घटनाएं सामने आईं।