सतना। जिले के बहुचर्चित शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाले में मंगलवार को कोर्ट ने 18 साल बाद महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जिला न्यायलय के अपर न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के देव नारायण शुक्ला की अदालत ने इस मामले में 13 लोगों को दोषी पाया है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को सुनाई पांच-पांच साल की सजा सुनाते हुए जेल भेज दिया है।
बता दें कि सतना के रामपुर बघेलान जनपद में 1998 में शिक्षा कर्मी वर्ग तीन में हुए जमकर भ्रष्टाचार में लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले में पात्र अभ्यार्थियों को अपात्र और अपात्र अभ्यर्थियों को पात्र बनाकर नौकरी दी गई थी ।
क्या था मामला
सतना जिले में 1997-98 में शिक्षा कर्मी वर्ग एक दो और तीन की भर्ती में जमकर भ्रष्टाचार हुआ था। इसकी शिकायत लोकायुक्त में हुई और लोकायुक्त पुलिस ने शिक्षा कर्मी वर्ग तीन में जनपद रामपुर बघेलान, जनपद अमरपाटन, जनपद सोहाबल और जनपद मझिगवा में छापामार कर दस्तावेज जब्त किये थे। वहीं शिक्षाकर्मी वर्ग दो और एक में भी अलग से जिला पंचायत में छापेमारी कर अलग मामला दर्ज किया था। जिसमें मंगलवार को सतना के रामपुर बघेलान में हुई शिक्षा कर्मी घोटाले पर न्यायलय ने निर्णय सुनाया और 13 लोगों को दोषी करार दिया है।
न्यायालय ने सभी आरोपियों को पांच-पांच साल की सजा और 37 -37 हजार का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने सिर्फ तात्कालिक सीईओ मोहन लाल मिश्रा को 5 साल की सजा के साथ 27 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी है।