सेंवढ़ा/ग्वालियर। मछुआरा नदी किनारे मछलियां पकड़ रहा था। थक गया तो पास बनी एक पहाड़ी पर जाकर आराम करने लगा। पानी सनकुआं की पहाड़ी की तलहटी तक ही था। अचानक नदी में बाढ़ आई और मछुआरा बह गया। यहां कोई बादल नहीं फटा था बल्कि मड़ीखेड़ा डैम से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ दिया गया था। जिससे सिंध में बाढ़ आ गई।
इस बार नदी में पानी सप्ताह भर पूर्व की अपेक्षा कहीं अधिक था। छोटा पुल इस सीजन में दूसरी बार डूबा। नदी में पानी पुल से 10 फीट तक ऊपर बह रहा था। सनकुआं की ओर जाने वाले सभी रास्ते जलमग्न हो गए। सनकुआं पर स्थित 20 फीट ऊंचा काली माता मंदिर रविवार सुबह 6 बजे पूरी तरह डूबा देखा गया। शनिवार को ही मड़ीखेड़ा डैम से पानी छूटने की सूचना प्रशासन को मिल चुकी थी। पुलिस एवं गोताखोर शनिवार शाम से ही सनकुआं पर पूरी तरह अलर्ट थे।
शनिवार की शाम को जब नदी में पानी का बहाव अधिक नहीं था तभी लक्ष्मण पुत्र मानसिंह बाथम गोमुख क्षेत्र पर गया। यहां उसने पहले मछलियां पकड़ीं। रात होने पर उसे तेज नींद आने लगी तो वह पहाड़ी पर ही सो गया। लक्ष्मण की मौजूदगी से बेखबर प्रशासन भी पहरेदारी में व्यस्त था। निर्धारित समय 18 घंटे बाद शनिवार-रविवार रात एक बजे पानी शिवपुरी मड़ीखेड़ा से सेंवढ़ा सनकुआं पहुंच गया। पानी जब उस पहाड़ी पर चढ़ गया, जहां बेसुध लक्ष्मण सो रहा था तो उसे अहसास हुआ, लेकिन जब तक वह संभलता लहरों की चपेट में आ गया। लक्ष्मण मछलियों को पकड़ने के लिए रात में ही टार्च अपने साथ लाया था जो उसके हाथ में थी। लक्ष्मण ने नदी की लहरों में गोता लगाते हुए टॉर्च की रोशनी कर मदद मांगी। यह इशारा पुलिस ने समझ लिया।
इसके बाद अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई। सबसे पहले टीआई आरकेएस गुर्जर मौके पर पहुंचे। रात होने और पानी का वेग अधिक होने के कारण बचाव कार्य के लिए नदी में उतरना जोखिम भरा था। बावजूद इसके पुलिस ने कुछ गोताखोर नदी में उतारे। सूचना के बाद एसडीएम यूएस सिकरवार और एसडीओपी डीएस कुशवाह भी मौके पर पहुंचे। लगभग 20 मिनट बाद मछुआरा लक्ष्मण स्वयं तैरता हुआ करबला की ओर किनारे पर पहुंच गया। इसके बाद पूरी रात पुलिस व अधिकारियों की पहरेदारी जारी रही।
25 फीट ऊंचा काली माता मंदिर भी डूबा
रविवार को सुबह काली माता का मंदिर जो 25 फीट ऊंचा है, दरवाजों के साथ 80 फीसदी डूब गया। इस सुंदर नजारे को देखने के लिए लोग सनकुआं गए। दोपहर होते होते पानी फिर कम हो गया पर शाम को एक बार फिर बहाव बढ़ा और नदी उफान पर आई। नवीन बड़े ब्रिज पर लगा कि खतरे का निशान पानी से महज 3 फीट दूर रहा।