
चिंता देवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल राजगढ़ में चतुर्थ श्रेणी कर्मी हैं। शिरगुल महाराज मंदिर के प्रवेश द्वार पर उनकी करीब पांच बीघा जमीन थी। उसने पूरी जमीन देवता के नाम करने की इच्छा जताई। कानूनन पूरी जमीन दान कर भूमिहीन नहीं हो सकते। ऐसे में उसने चार बीघा 15 बिस्वा जमीन देवता के नाम कर दी। चिंता देवी के पति को पांच बीघा जमीन भूमिहीन होने पर मिली थी।
मंदिर कमेटी महिला के लिए बनाएगी एक कमरा
वह शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मी थे। दंपति की कोई संतान नहीं थी। कुछ अरसा पहले चिंता देवी के पति का निधन हो गया। अब चिंता देवी करुणामूलक आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी कर रही हैं। राजगढ़ रहने के चलते उन्होंने देवता के नाम जमीन दान करने का फैसला लिया। अब मात्र पांच बिस्वा भूमि ही उनके नाम है।
शिरगुल देवता मंदिर समिति के अध्यक्ष अमर सिंह ने कहा कि मंदिर कमेटी की ओर से चिंता देवी को राजगढ़ स्कूल में सम्मानित किया गया है। शिरगुल देवता मंदिर कमेटी ने निर्णय लिया है कि मंदिर परिसर में एक कमरा चिंता देवी के नाम पर बनेगा। यहां वह जब चाहे रह सकती हैं। मंदिर में दान की पट्टिका भी लगाई जाएगी। समिति ने एक प्रस्ताव डाला है कि जब भी चिंता देवी को कोई जरूरत होगी तो मंदिर समिति उनकी आर्थिक मदद भी करेगी।