डी.के.सिंगौर/मंडला। प्रदेश में कार्यरत अध्यापकों के एक लाख 48 हजार खाते एनएसडीएल में संचालित हैं जिसमें सरकार ने अध्यापकों के अंशदान का हिस्सा व सरकार का हिस्सा 16 महीने से जमा नहीं कराया था। दूसरे शब्दों में कहें तो अध्यापकों के हिस्से का ब्याज सरकार खुद डकार गई। राज्य अध्यापक संघ ने जब मामले को उठाया और कोर्ट के नोटिस से लेकर प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया में जब बवाल मचा तो सरकार ने अंशदान की राशि एनएसडीएल में जमा कराने की कार्रवाई शुरू की।
जहां सरकार को अध्यापकों के प्रान खाते में लगभग 1500 करोड़ जमा करने थे वहीं एज्यूकेशन विभाग ने मात्र 668 करोड़ और ट्रायवल विभाग ने मात्र 20 करोड़ की राशि ही अब तक एनएसडीएल में जमा कराई है। जिसके चलते शिक्षा विभाग के स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों के खाते में जनवरी 16 तक की ही राशि जमा हो सकी है 6 महीने का अंशदान तब भी बाकी है।
ट्रायवल विभाग के स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों के खाते में राशि अभी तक नहीं पंहुची हैं। 20 करोड़ की राशि को देखते हुये अधिकतम 3 महीने की राशि ही जमा होने की सम्भावना है। जो राशि वेतन से कटने के दिनांक के 15 दिवस के अंदर एनएसडीएल में जमा हो जानी चाहिये थी। सरकार ने 16 माह तक यह राशि जमा नहीं की और अब राशि जमा की जा रही है तो अधूरी, यह जानते हुये भी कि इससे अध्यापकों को बड़ी आर्थिक क्षति पंहुच रही है।
सरकार यह भी जानती है कि 15 वर्ष की सेवा का कोई अंशदान लाभ अध्यापकों को नहीं मिला है। अब यक्ष प्रश्न यह है कि क्या सरकार अंशदायी पेंशन नियमों के अन्तर्गत कटौती होने के दिनांक से एनएसडीएल में जमा करने के दिनांक की अवधि का ब्याज अध्यापकों के खाते में जमा करेगी। फिलहाल तो सरकार की ऐंसी कोई मंशा नजर नहीं आ रही है।
राज्य अध्यापक संघ अब इस मुदृदे पर मुखर होगा कि आखिर अध्यापक यह नुकसान क्यों सहेें और ब्याज की राशि ही अध्यापकों को न मिले तो फिर इस योजना का औचित्य ही क्या है। राज्य अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष डी.के.सिंगौर का कहना है कि ब्याज की राशि हम कोर्ट के माध्यम से सरकार से लेकर रहेंगें। राज्य अध्यापक संघ शीघ्र ही उच्चाधिकारियों को स्मरण करायेगा कि वह कोषालय के माध्यम से कटोती की प्रक्रिया जल्दी से जल्दी प्रारम्भ करें सौंपे गये मांगपत्र के सभी बिन्दुओं का भी शीघ्र निराकरण करें।