नईदिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रतिरोध के बावजूद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और देश के सभी 24 हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों से निपटने के लिए एक तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव किया है।
न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सरकार ने एक अलग से सचिवालय के गठन का भी प्रस्ताव रखा है। सचिवालय को न्यायपालिका के खिलाफ शिकायतों का मूल्यांकन और कार्रवाई करने की सिफारिश का काम सौंपा जाएगा। सेवानिवृत्त न्यायाधीश भी इसके दायरे में आएंगे।
यह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए उम्मीदवार जजों की जांच भी करेगा। मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ऐसी किसी भी व्यवस्था बनाए जाने के खिलाफ हैं। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि यह उसकी स्वतंत्रता पर अतिक्रमण करने जैसा होगा।
सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए भी नियम
अभी तक, न्यायपालिका के खिलाफ शिकायतों आने वाली शिकायतों को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा जाता था। मुख्य न्यायाधीश ही फैसला लेते थे कि किस शिकायत पे क्या कार्रवाई करनी है।
उच्चतम स्तर पर लिए गए इस निर्णय में सरकार ने ना सिर्फ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के लिए न्याधीशों की नियुक्ति के लिए सचिवालय बनाने का प्रस्ताव रखा है, बल्कि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की सचिवालयों में नियुक्ति के लिए भी नियमों की आधारशिला रखी है।
सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की सचिवालयों में नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश और संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की सहमति से ही की जाएगी। सचिवालय के जरिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में नियुक्ति से पहले जजों की जांच करने का प्रस्ताव पेश कर लगता है सरकार ने न्यायाधीश जबाबदेही बिल को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है जिससे न्यायपालिका से होने वाली किसी भी टकराव से बचा जा सके। यह बिल 2012 में लोक सभा में पास किया गया था लेकिन 15वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही यह बिल भी रद्द हो गया था।