शिक्षा विभाग, मप्र शासन
निवेदन है कि विभाग के अन्तर्गत कार्यरत समस्त कर्मचारी प्राचार्य व्याख्याता लिपिक, यहाँ तक की भृत्य तक को समयमान वेतनमान का लाभ दिया जा चुका है किन्तु शिक्षक, सहायक शिक्षक और प्रधानपाठक को वर्तमान तक इससे वंचित रखा गया है। इसी प्रकार शिक्षा विभाग के पुराने और नियमित सहायक शिक्षकों को नियुक्ति से 30 से 35 साल की सेवा पूर्ण होने के बाद भी एक भी पदोन्नति नहीं दी गई। परिणामस्वरूप सहायक शिक्षक विना पदोन्नति लिए ही लगातार सेवानिवृत हो रहे है। इसके विपरीत सहायक शिक्षको से काफी कनिष्ठ, पंचायत/नगरीय निकाय के 8 से 12 वर्ष की अल्पसेवा वाले सहायक अध्यापको को निरंतर पदोन्नति दी जा रही है।
उपेक्षा का आलम यही नहीं रुकता, हमारे साथी सहायक शिक्षक जो पूर्व में सर्वशिक्षा में BAC, जनशिक्षक जैसे प्रबंधकीय पद पर प्रतिनियुक्ति पर थे, तमाम योग्यता और अनुभव के बाद भी अपात्र बताकर हटा दिए गए। हमारे सहायक शिक्षक साथी पोस्ट ग्रेजुएट यहाँ तक पीएचडी होल्डर होने के बाद भी 30 से 35 साल की सेवा और अनुभव के बाद भी 'अ' अनार का पढ़ाते हुए बिना प्रमोशन के रिटायर्ड हो रहे है और हमारे सामने नियुक्त हुए पंचायत/नगरीय निकाय के अध्यापक न केवल लगातार प्रमोशन लेते जा रहे है, वल्कि सर्वशिक्षा के विभिन्न पदों पर बतौर अधिकारी हमारा निर्देशन कर रहे हैं।
इसे दुर्भाग्य कहेँ या सरकार और शासन की वफादारी का प्रतिफल कि हम घोर उपेक्षा मिल रही है, वर्षो से जनप्रतिनिधियो और विभागीय अधिकारियों अनुरोध करके थक चुके शेष बचे 45000 सहायक शिक्षक आज भी आस लगा कर बैठे है, कि उन्हें शिक्षक नाम जा सम्मान मिल जाये, चूँकि पदनाम परिवर्तन से सरकार के ऊपर एक पैसे का भी आर्थिक भार नहीं आएगा।
महोदय, आप यकीन मानिए शिक्षा विभाग के हम पुराने शिक्षको ने जीवन मे आज तक न तो कोई आन्दोलन किया, न धरना दिया, न सरकार और शासन के विरोध में कोई सार्वजनक प्रदर्शन किया और न ही करेंगे। विभाग ने जो भी हमें दिया उसी मे हमने हमेशा संतोष किया और पूरी ईमानदारी से काम किया।
हम शिक्षक है हमने गरिमामय रूप से सेवा दी है और देंगे, किन्तु विभागीय स्तर पर हमारे साथ काफी अन्याय हुआ है, इस बात का हमें काफी दुःख है। एक शिक्षक होने के नाते हमारा एक निवेदन सहित सुझाव है कि जबसे सर्वशिक्षा अभियान में निकाय के गैर अनुभवी अध्यापक संवर्ग को जनशिक्षक बीआरसीसी, बीएसी अथवा सहायक परियोजना के रूप में प्रतिनिधत्व करने का अवसर दिया गया है, सर्वशिक्षा के कार्यालय अध्यापक हड़ताल के केंद्र बन गए हैं, और शिक्षा व्यवस्था हासिये पर जा चुकी है।
जब नियंत्रण करनेवाले ही हड़ताल संचालित करे तो शिक्षा व्यवस्था पर नियंत्रण कौन रखेगा, विभाग को इस स्थिति की जानकारी होने के वावजूद एरिया एजुकेशन ऑफिसर जैसे पदों पर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ और अनुभवी सहायक शिक्षकों के वजाय अनुभवहीन अध्यापक संवर्ग को वरीयता दी जा रही है, जो चिंतनीय है। शिक्षाहित में हमारा विनम्र आग्रह सहित सुझाव है क़ि प्रदेश में जितने भी शिक्षाकर्मी/अध्यापक संवर्ग से सर्वशिक्षा के पदों पर जनशिक्षक बीआरसीसी, बीएसी अथवा सहायक परियोजना अधिकारी प्रतिनुक्त है उन्हे तत्काल प्रतिनियुक्ति से पृथक कर पुराने अनुभवी सहायक शिक्षक, शिक्षक, प्रधानपाठक को सर्व शिक्षा के पदों पर प्रतिनियुक्ति दी जाये।
मै प्रांतीय संयोजक होने के नाते पुराने शिक्षको की ओर से आपको विश्वास दिलाता हूँ कि प्रदेश में एक भी हड़ताल धरना प्रदर्शन नही होने देगे और ना ही प्रदेश मे एक भी स्कूल बन्द होने देंगे। हम सरकार और शासन की छवि धूमिल करनेवालो को उनके उद्देश्य में सफल नहीं होने देंगे। प्रदेश में शिक्षा का स्तर ऊपर उठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
आशा है माननीय महोदय, शिक्षाहित में हमारे पदनाम परिवर्तन और समयमान पर कार्यवाही के साथ-साथ सुझावात्मक अनुरोध पर भी गौर करने की कृपा करेगे।
आपका
सुरेशचंद्र दुबे,
प्रान्तीय संयोजक
समग्र शिक्षक व प्राचार्य
एवं व्याख्याता कल्याण संगठन म प्र