इंदौर। हाईकोर्ट ने यहां एक जनहित याचिका को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ता एक शासकीय कर्मचारी था। हाईकोर्ट ने कहा कि शासकीय सेवकों को जनहित याचिका लगाने का अधिकार नहीं है। यह याचिका महिलाओं में बांझपन दूर करने के लिए शासकीय अस्पतालों में व्यवस्था जुटाने को लेकर डॉ. गौरी राय द्वारा लगाई गई थी।
डॉ. गौरी राय ने यह याचिका दायर की थी। जस्टिस पीके जायसवाल, जस्टिस विवेक रुसिया की बेंच ने इसकी सुनवाई की। याचिका में उल्लेख किया था कि बांझपन दूर करने के लिए महिलाओं को निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है जहां काफी खर्च होता है। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य के लिए करोड़ों रुपए का बजट आता है। बांझपन की समस्या दूर करने के लिए सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए।
याचिका खारिज होने के बाद डॉ. राय ने कहा कि इसे अब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे। उल्लेखनीय यह भी है कि डॉ. राय की मातृत्व अवकाश दिए जाने को लेकर हाई कोर्ट में ही एक याचिका विचाराधीन है। वहीं उनके पति डॉ. आनंद राय की सुप्रीम कोर्ट और जबलपुर स्थित प्रिसिंपल बेंच में भी याचिका विचाराधीन है।