नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में विपक्षी विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। उमर ने इस मुलाकात के बाद कहा कि हिंसाग्रस्त राज्य राजनीतिक समस्या से जूझ रहा है, जिससे प्रशासनिक तरीके से नहीं निपटा जा सकता।
उमर ने राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा, "जम्मू एवं कश्मीर की समस्या उसकी राजनीति से उपजी है। इससे प्रशासनिक तरीके से नहीं निपटा जा सकता और न ही बल प्रयोग से निपटा जा सकता है। इसे मानवीय संकट पैदा करके नहीं संभाला जा सकता।"
प्रशासन से नहीं, राजनीति से निकलेगा हल: उमर
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वह अपने पद का इस्तेमाल कर केंद्र सरकार को यह बताएं कि "आज जो हो रहा है उसका मूल कारण जम्मू एवं कश्मीर की राजनीति है और इसका समाधान भी राजनीतिक रूप से ही निकाला जाना चाहिए, प्रशासनिक तरीके से नहीं।"
बीजेपी और पीडीपी पर साधा निशाना
उमर ने घाटी में जारी हिंसा की स्थिति से निपटने के लिए राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीपुल्स डेमोकेट्रिक पार्टी (पीडीपी) के गठबंधन की भी आलोचना की। घाटी में शांति लौटती नहीं देख नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर ने मोदी सरकार पर यह कहते हुए प्रहार किया कि कश्मीर मुद्दा राजनीतिक है लेकिन वह इसे समझने में ‘‘विफल’’ रही।
राष्ट्रपति से अपना प्रभाव इस्तेमाल करने का आग्रह
उमर ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि राज्य एवं केंद्र पर अपने ‘‘प्रभाव’’ का इस्तेमाल करें ताकि ‘‘घाटी में नागरिकों पर घातक बल का प्रयोग बंद हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति से केंद्र सरकार से यह कहने का आग्रह किया कि वह राज्य में राजनीतिक मुद्दे का समाधान करने के लिए आगे कोई और विलंब किए बिना सभी पक्षों को शामिल कर राजनीतिक वार्ता की ठोस एवं उपयोगी प्रक्रिया शुरू करे ।’’
बाकी नेता भी रहे साथ
उमर ने कहा कि स्थिति से राजनीतिक नजरिए से निपटने से केंद्र का लगातार इनकार ‘‘निराशाजनक है और इससे राज्य में शांति एवं स्थिरता के लिए दीर्घकालिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं ।’’ पूर्व मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश कांग्रेस समिति के प्रमुख जीए मीर के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक, माकपा विधायक एमवाई तारिगामी और निर्दलीय विधायक हाकिम यासीन भी थे।
कश्मीर जल रहा, कब जगेंगे हम: उमर
उमर ने कहा, ‘‘कश्मीर घाटी में 42 दिन से सुलग रही आग पहले ही पीर पंजाल और जम्मू क्षेत्र की चेनाब घाटी तथा करगिल क्षेत्र तक फैलनी शुरू हो चुकी है।’’ उमर ने कहा, ‘‘मुझे आश्चर्य होता है कि वे कब जगेंगे क्योंकि स्थिति गंभीर है ।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य और केंद्र सरकार पेट्रोल तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की बिक्री रोकने जैसे प्रशासनिक कदमों का इस्तेमाल कर ‘‘आंदोलन को कुचलने की’’ कोशिश कर रही हैं।
सरकार का काम कर रहा है विपक्ष: उमर
उन्होंने खेद जताया कि स्थिति को सामान्य बनाने के लिए जो कदम केंद्र और राज्य सरकार को उठाने चाहिए, वे कदम विपक्षी दल उठा रहे हैं। उमर ने कहा, ‘‘ये विपक्षी दल थे जिन्होंने संसद में चर्चा के लिए सरकार पर दबाव बनाया और ये एक बार फिर विपक्षी दल हैं जो राज्य सरकार पर कोई राजनीतिक समाधान ढूंढ़ने के लिए दबाव बना रहे हैं ।’’
भविष्य की चिंता: उमर
उन्होंने आगाह किया कि ‘‘समग्र एवं सतत राजनीतिक पहल के जरिए राज्य के लोगों से वार्ता करने में विलंब जारी रहने से घाटी में अलग-थलग होने की भावना और बढ़ेगी तथा भविष्य की पीढ़ी पर अनिश्चितता के बादल छाएंगे ।’’ उमर ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वह ‘‘घाटी में नागरिकों पर घातक बल का इस्तेमाल रोकने के लिए’’ राज्य और केंद्र पर अपने ‘‘प्रभाव’’ का इस्तेमाल करें ।
राष्ट्रपति शासन की मांग फिलहाल नहीं
बहरहाल उमर ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल का शासन लगाने की कोई मांग नहीं की गई। उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां सरकार उखाड़ फेंकने के लिए नहीं आए हैं, हालांकि राज्य की खराब स्थिति के लिए महबूबा मुफ्ती की सरकार जिम्मेदार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘महबूबा की प्रशासनिक क्षमता लगातार विफल हो रही है और स्थिति से निपटने में उनकी क्षमता भी प्रभावित हो रही है। राज्य में प्रशासनिक अराजकता है। सुबह में कोई फैसला किया जाता है और शाम में कुछ और।’’
आग में पेट्रोल डाल रहा पाकिस्तान: उमर
यह पूछने पर कि क्या राज्य में वर्तमान स्थिति के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना सही है तो उमर ने कहा, ‘‘देखिए कि बुरहानी वानी के मारे जाने के तुरंत बाद क्या हुआ जिसका पाकिस्तान से कोई लेना देना नहीं है जो बाद में इसमें कूदा ताकि आग में और पेट्रोल डाला जा सके जो घाटी में सुलग रही थी।’’
POK पर नहीं बोलूंगा, कश्मीर ठीक रखें
पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से अपने कब्जे में रखे कश्मीर के इलाकों को वापस लाने के केंद्र के दबाव के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे ला सकते हैं तो लाने दीजिए। मैं यहां सरकार की विदेश नीति के बारे में बोलने नहीं आया हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां इसलिए आया हूं कि मेरे घर (कश्मीर घाटी) में आग लगी है और इस आग के फैलने के पहले मुझे इस पर ध्यान देना है।’’ पैलेट गन के इस्तेमाल के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि बंदूक ऐसे लोगों को दिए जा रहे हैं जो इसका इस्तेमाल करना नहीं जानते।