महाकाल के पवित्र शिवलिंग पर कैलाश विजयवर्गीय का कब्जा, कांवड़ियों को पीटा

भोपाल। देशभर की आस्था का केन्द्र बाबा महाकाल मंदिर में स्थित पवित्र शिवलिंग पर भाजपाईयों का अवैध कब्जा जारी है। जब से मप्र में भाजपा की सरकार बनी है, सभी महत्वपूर्ण अवसरों पर भाजपा के नेता नियमों को तोड़कर महाकाल का अपमान करते हैं। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। श्रावण के दूसरे सोमवार को भस्मारती बाद महाकाल मंदिर के गर्भगृह में मप्र के पूर्व मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, सोनकच्छ विधायक राजेंद्र वर्मा, इंदौर के विधायक रमेश मेंदोला, भाजपा नेता गोलू शुक्ला सहित कई नेताओं ने शिवलिंग का जलाभिषेक किया, जबकि पवित्र नदियों से बाबा के अभिषेक के लिए जल लेकर आए कावड़ियों को बाहर रखा गया। उन्हें केवल नंदीहॉल व बेरिकेड्स के बाहर से दर्शन करने की अनुमति दी गई। 

इसे लेकर इस साल भी हंगामा हुआ। कावड़ियों ने हंगामा करते हुए जब यह कहा कि गर्भगृह में वीआईपी जा रहे हैं तो उन्हें क्यों रोका जा रहा है। यह सुन वहां मौजूद कुछ भाजपा नेताओं ने कावड़ियों से मारपीट भी की। 

सोनकच्छ विधायक वर्मा एवं इंदौर के शुक्ला बड़ी संख्या में कावड़ियों के साथ सोमवार रात 2 बजे भस्मारती में आए। वहीं पूर्व मंत्री विजयवर्गीय भी अपने समर्थकों के साथ भस्मारती करने पहुंचे थे। पहले भस्मारती में प्रवेश को लेकर विधायक वर्मा का पुलिसवालों से विवाद हुआ। अधिकारियों ने हस्तक्षेप कर मामला शांत कराया फिर सुबह 5 बजे भस्मारती समाप्त होने के बाद मंदिर कर्मियों ने नंदीहॉल व बेरिकेड्स में बैठे श्रद्धालुओं को बाहर कर सभामंडप में खड़े कावड़ियों को जल चढ़ाने व महाकाल दर्शन के लिए छोड़ा। 

कावड़िए सभामंडप में जलपात्र में जल चढ़ाकर नंदीहाल के पीछे बेरिकेड्स में पहुंचे तो उस समय पूर्व मंत्री विजयवर्गीय, विधायक वर्मा, शुक्ला सहित कई वीआईपी गर्भगृह के अंदर जल चढ़ाकर पूजन कर रहे थे। यह नजारा देख कावड़िए भड़क गए और वे भी अंदर जाने की बात को लेकर हंगामा करने लगे लेकिन पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने सख्ती कर सभी को दर्शन के बाद मंदिर से बाहर किया। इस बीच इंदौर से आए एक कावड़िए ने नंदीहॉल में हंगामा कर यह कह दिया कि वीआईपी अंदर हैं तो हमें बाहर क्यों कर रहे हैं। 

यह सुन वहां मौजूद पूर्व मंत्री विजयवर्गीय के उज्जैन समर्थकों ने कावड़िए से धक्का-मुक्की कर मारपीट की। मंदिर कर्मचारियों व पंडे-पुजारियों ने घटना की पुष्टि की है। हालांकि बाद में बीच बचाव कर कावड़िए व नेताओं को अलग किया। कावड़िए ने अपने साथ हुई घटना की शिकायत दर्ज नहीं कराई। इसलिए मामला वहीं समाप्त हाे गया। मंदिर में एक कर्मचारी व पुलिसकर्मी के बीच भी प्रवेश को लेकर विवाद हुआ। 

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