भोपाल। मप्र का सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) शायद यही संदेश दे रहा है। उसने मंत्रालय में 22 चपरासियों की अवैध भर्ती कर ली। आरटीआई में खुलासा हुआ तो विभाग ने गलती भी मान ली, लेकिन ना तो अवैध नौकरी कर रहे चपरासियों को हटाया गया और ना ही अवैध भर्ती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई। कार्रवाई तो दूर की बात, नोटिस तक जारी नहीं किए गए। जो हो गया, सो हो गया की तर्ज पर मामला दबा दिया गया है।
मंत्रालय में चपरासियों के रिक्त 32 पदों के लिए वर्ष 2012-13 में मंत्री स्थापना के चपरासियों की भर्ती परीक्षा कराई गई। इसमें 174 उम्मीदवार शामिल हुए थे। मई 2013 में इनमें से 32 चपरासियों को नियुक्ति दे दी गई। विभाग ने बाद में और 22 पदों पर भर्ती की, लेकिन इसके लिए परीक्षा नहीं कराई, बल्कि पहली भर्ती परीक्षा के शेष उम्मीदवारों को ही नियुक्त कर दिया, जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता। 32 पदों पर भर्ती के दौरान विभाग को 8 उम्मीदवारों की प्रतीक्षा सूची बनाना थी और 22 पदों पर भर्ती के लिए अलग से परीक्षा कराना थी।
विभाग ने दोनों ही काम नहीं किए। भोपाल के कोटरा सुल्तानाबाद निवासी आशीष सोनी ने सूचना के अधिकार में भर्ती प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेज मांगे, तो हकीकत सामने आ गई। विभाग के अफसर और राज्यमंत्री ने स्वीकार किया है कि भर्ती प्रक्रिया में गलती हुई है, लेकिन संबंधितों पर कार्रवाई शुरू नहीं की गई। सूत्र बताते हैं कि विभाग ने संबंधितों को नोटिस जारी करने और कारण पूछने तक की जहमत नहीं उठाई।
और 45 पद भरने की कोशिश
22 पदों पर नियुक्ति में गड़बड़ी कर चुके विभाग के अफसर इसी पद्घति से 45 और पद भरने की तैयारी में थे। वर्ष 2015 में इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी, लेकिन सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने इसका खुलकर विरोध किया। तब जाकर यह प्रक्रिया रोक दी गई।