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इसमें भी एक कडी यह भी है कि इतिहास एकबार फिर स्वयं को दोहराने के कगार पर है। शहडोल लोकसभा उपचुनाव में जो भी दल अपना प्रत्याशी पुष्पराजगढ़ से देगा, विजय की संभावना 70-30 की हो जाती है। कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी सूत्रों से मिल रही जानकारी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. दलवीर सिंह की पुत्री हिमाद्री सिंह को प्रत्याशी बनाने के मूड में है तो भाजपा अभी भी ज्ञान सिंह, जयसिंह मराबी और सुदामा सिंह के बीच अटकी दिख रही है। इसके बावजूद एक खबर यह भी है कि स्व. दलवीर सिंह के भतीजे और नगर पंचायत अमरकंटक के पूर्व अध्यक्ष नर्मदा सिंह पर भी भाजपा दांव खेल सकती है। यदि ऐसा हुआ तो इस चुनाव में भाई और बहन के बीच मुकाबला होगा।
भाजपा के इस पैतरे से कांग्रेस भी हक्की-बक्की दिख रही है। दोनों चेहरे नये और गैर विवादित होने के कारण वस्तुत: चुनावी परिणाम पुष्पराजगढ़ से बाहर उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में दोनों दलों की लोकप्रियता और मेहनत पर निर्भर हो जायेगी। इन सब के बीच दोनों दलों में चल रही खींच-तान शक्ति प्रदर्शन के स्तर तक जा पहुंची है। अंतत: इसका खामियाजा पार्टीको ही भुगतना होगा।