मुंबई। जनता पर बिना टैक्स थोपे देश का विकास करने वाले 'नेहरू मॉडल' से वित्तमंत्री अरुण जेटली इत्तेफाक नहीं रखते। इतना ही नहीं वो उन लोगों से भी खासे खफा हैं जो भारत में नवरत्न (हमेशा फायदा देने वाले 9 बड़े कारखाने) स्थापित करने वाले जवाहरलाल नेहरू की आर्थिक नीतियों तारीफ करते हैं।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मुंबई जीएसटी पर आयोजित एक चर्चा के दौरान कहा कि 'देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के आर्थिक मॉडल की वजह से देश की विकास दर एक प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाई थी। इतना ही नहीं देश की एक प्रतिशत से भी कम आबादी के पास टेलीफोन था। दूसरे देश उस समय तरक्की कर रहे थे और हम रेंग रहे थे। इसके बाद भी लोग उस दौर की तारीफ करते हैं।'
बता दें कि आजादी के तुरंत बाद जब सदन में देश के विकास के लिए जनता पर टैक्स लगाने की मांग उठी तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इससे इंकार कर दिया। उनका कहना था कि 'लगान वसूलकर अंग्रेजी सरकार भी शासन चलाती थी, यदि हम भी टैक्स वसूलने लगे तो आजादी का क्या अर्थ रह जाएगा' उन्होंने सरकार की आय बढ़ाने के लिए ना केवल 9 प्रमुख कारखाने की स्थापना की बल्कि ऐसे कई उपक्रम शुरू किए जो सरकार को ना केवल सीधी आय उपलब्ध कराते हैं बल्कि लोगों को रोजगार भी देते हैं। इसी को 'नेहरू मॉडल' कहा जाता है जो बाद में टूट गया और अब सरकारें केवल जनता से वसूले गए टैक्स पर निर्भर होती जा रहीं हैं। काश भारत का हर प्रधानमंत्री नेहरू जैसे 9 कारखानों की स्थापना करता तो आज भारत टैक्स फ्री देश होता।