उज्जैन। उज्जैन में अब बच्चों के लिए भेजे जा रहे खाने में भी धर्म आड़े आने लगा है। सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में सप्लाई किए जाने वाले मध्यान्ह भोजन को यहां के मदरसों ने लेने से साफ मना कर दिया है। उनका कहना है कि इन खानों का एक हिस्सा भगवान को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है, जो मुस्लिम स्वीकार नहीं कर सकते।
बताया जा रहा है कि, उज्जैन में अब तक मध्यान्ह भोजन पहुंचाने का काम श्री जगन्नाथ मंदिर इस्कॉन फूड संस्था करती थी। साल 2010 से 2016 जुलाई तक इस्कॉन ने फूड सप्लाई का काम किया, लेकिन मुस्लिम इस्लामिक स्कूल और मदरसों ने ये खाना लेने से इनकार कर दिया.
इस्कॉन का टेंडर खत्म होने पर ये टेंडर देवास के बीआरके फूड और मां पृथ्वी फूड को दिया गया है, पर इनका खाना भी मदरसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
मदरसा शिक्षा समिति के अध्यक्ष की मानें तो इन संस्थानों के माध्यम से आने वाले खाने को लेकर बच्चों के परिजनों में धार्मिक शंका है. उनका कहना है कि इन संस्थानों से खाना भोग या पूजा पाठ करने के बाद स्कुलों में पंहुचता है और उनके धर्म में भी नहीं है कि भगवान को चढ़ाया हुआ भोजन खाया जाए, ऐसे में ये खाना वो नहीं खा सकते।
उन्होंने ये भी तर्क दिया कि हिंदू और मुस्लिम धर्म का खाना अलग होता है, साथ ही मिड डे मील का खाना अच्छी क्वालिटी का भी नहीं होता। उनकी मांग है कि मदरसों में बच्चों को वहीं पर खाना बनाकर खिलाया जाए।
मदरसों द्वारा मिड डे मील नहीं लेने का मामला जिला पंचायत सीईओ के पास और मध्यान्ह भोजन शाखा के समक्ष भी पहुंच चुका है। उज्जैन कलेक्टर ने विवाद को बढ़ता देख जल्द ही मदरसों के साथ एक मीटिंग बुलाई है, जिसमें इस समस्या का हल निकालने की बात कही जा रही है।