
मामला चाहे जो हो मगर यह बेहद संगीन है और इससे हमारे सुरक्षा तंत्र को गंभीर खतरा हो सकता है। खासकर ऐसे दौर में यह खबर विशेष अहमियत रखती है, जब केंद्र सरकार अपने कुछ पड़ोसियों के साथ कठोर नीति अपनाने का मन बना रही है। अगर सरकार वाकई ऐसी नीति पर आगे बढ़ती है तो संभव है कई मोर्चे खुल सकते हैं। ऐसे में हमारे रक्षा रहस्यों का लीक होना बेहद खतरनाक है। इससे भी बड़ी बात है कि हमें इतनी संवेदनशील जानकारियों के लीक होने के दरवाजों का सही-सही अंदाजा ही नहीं लगा पा रहे हैं।
इससे शायद इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि हमारी चौकसी में कहीं-न-कहीं कमजोरी है। यह पनडुब्बी हमारी समुद्री चौकसी में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली है. छह स्कॉर्पियन पनडुब्बियों के निर्माण का सौदा फ्रांसीसी कंपनी के साथ 2005 में 3.5 अरब डॉलर में हुआ था। इसके तहत इसका निर्माण मुंबई के मझगांव डकयार्ड में चल रहा है।
इस स्कॉर्पियन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आइएनएस कलवारी की भारतीय नौसेना में तैनाती इसी साल के अंत तक होने की उम्मीद जताई जा रही है। हाल में चीन की परमाणु पनडुब्बी के हिंद महासागर में उतरने और मुआयना करने की खबरें आई थीं तो हमारे सुरक्षा प्रतिष्ठान में हड़कंप मच गया था। हालत यह थी कि चीन ने जब कहा कि हमने हिंद महासागर का मुआयना किया तो हमें पता चला था। इस लिहाज से स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बियों को बेहद जरूरी माना जा रहा था। एक और चिंताजनक बात यह भी है कि ऑस्ट्रेलिया में स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बियां बनाने का सौदा हुआ है। संभव है, आस्ट्रेलिया हमारे रहस्यों को जानाना चाहता हो ऐसे में अगर हमारी पनडुब्बी की डिजाइन लीक हो जाती है तो सही नहीं कहा जा सकता।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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