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परिजनों ने तबीयत खराब होने के कारण उन्हे भर्ती कराया था। अस्पताल में उन्हें वेंटिलेटर पर लिया गया। इसके बाद डॉक्टरों ने बताया कि उनकी मौत हो गई है। परिवारजन सदमे में आ गए और मृत्यु के बाद की औपचारिकताओं में व्यस्त हो गए। इसके बाद जब परिजन मृत घोषित किए जा चुके रामचंद्र दावे के शरीर को लेने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कमांडर साहब की सांसे दोबारा से चलने लगी हैं। इसके तुरंत बाद उन्होंने फिर से वेंटिलेटर पर रखा गया है। परिवार के लोग इसे ईश्वर का चमत्कार मान रहे हैं।
अखबार ने वापस नहीं किए विज्ञापन के पैसे
परिवारजन उनकी अंतिम यात्रा का विज्ञापन अखबार में बुक करवा चुके थे। इतने में वो जी उठे। अब परिवारजनों ने विज्ञापन रद्द करने के लिए कहा तो अखबार ने विज्ञापन निरस्त करने से इंकार कर दिया। विकल्प दिया गया कि इसकी जगह दूसरा विज्ञापन लगवा लो। मजबूरी में परिवार को दूसरा विज्ञापन जारी करना पड़ा। जिसमें उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया।