
पुलिस के मुताबिक आरोपी का नाम यश और पिता का नाम अश्विन अमीन है लेकिन पिछले कई सालों से वह अपना नाम विराज शाह बताकर लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहा था। दरअसल ये खुद को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भांजा बताता था और बडे रौब के साथ रहता था। एसपी के मुताबिक आरोपी को 2014 में घर से निकाल दिया गया है। इसलिए यह सरनेम बदलकर लोगों से ठगी करता था।
क्या है पूरा मामला
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के इस तथाकथित भांजे ने 26 जुलाई को उज्जैन जीआरपी थाने में खुद को विराज शाह बताकर प्रकरण दर्ज कराया था कि वह शांति एक्सप्रेस में सफर कर रहा था तभी उसका ट्राली बैग चोरी हो गया। जिसमें लाखों रुपए का सामान था। इस दौरान युवक ने उज्जैन दक्षिण विधायक मोहन यादव को फोन कर खुद को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का भांजा बताया और मदद की मांग की।
विधायक ने सहयोगी नरेश शर्मा को मदद के लिए भेजा
विधायक ने अपने सहयोगी नरेश शर्मा को मदद के लिए भेज दिया। एफआईआर दर्ज करवाने के बाद विराज ने नरेश शर्मा से 50 हजार नगद, 15 हजार का मोबाइल और उज्जैन से अहमदाबाद जाने के लिए 15 हजार रुपए टैक्सी किराया लिया और अहमदाबाद जाकर लौटाने की बात कहीं थी। अहमदाबाद पहुंचते ही इसने अपना मोबाइल बंद कर लिया और फरार हो गया।
नरेश शर्मा को हुआ ठगी का आभास
इधर जीआरपी पुलिस ने जांच की तो पता चला तो उसके द्वारा दर्ज कराई गई चोरी की वारदात फर्जी है। ऐसे में पूरा मामला फर्जी नजर आने लगा। इस बीच विधायक के सहयोगी नरेश शर्मा को ये आभास हुआ कि उनके साथ धोखा हो गया है तो उन्होंने माधवनगर पुलिस को 80 हजार रुपए की ठगी की शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत दर्ज होने के बाद उज्जैन पुलिस हरकत में आ गई और इस शातिर ठग को खोज निकाला। हालांकि पुलिस ने इसे खोजने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की खाक छान मारी। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने पेटलावद के पास एक ढाबे से गिरफ्तार कर लिया।
फोटो बना आरोपी को पकड़ने की वजह
दरअसल उज्जैन जीआरपी में चोरी के एफआईआर दर्ज कराते समय जीआरपी टीआई ने इसके कुछ फोटो मोबाइल में कैद कर लिए थे। बस यही आरोपी लिए मुसीबत बन गया। उसे उज्जैन पुलिस और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने पकड़ा।