
अखिलेश ने कहा है कि प्रदेश सरकार जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कटिबद्ध है और मरीजों के इलाज में शिथिलता बरतने वाले संवेदनहीन चिकित्सकों को बख्शा नहीं जाएगा। गत 28 अगस्त को सुनील कुमार नामक व्यक्ति अपने 12 वर्षीय बेटे अंशु को बुखार से पीड़ित होने पर जेवीएसएम मेडिकल कालेज स्थित हैलट अस्पताल लाया था। उसका आरोप है कि चिकित्सकों ने इलाज करने के बजाय उसे एक विभाग से दूसरे विभाग में भेजा। वह बेटे को कंधे पर लिये एक से दूसरे विभाग में दौड़ता रहा। इसी दौरान बच्चे ने उसकी गोद में ही दम तोड़ दिया।
हालांकि मेडिकल कालेज के प्राचार्य नवनीत कुमार का कहना है कि बच्चे को मृत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी मामले का संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिये हैं। आयोग की अध्यक्ष जूही सिंह ने ‘कहा, ‘‘हमने कानपुर के जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है। उनका जवाब भी आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि मामले की जांच के लिये दो सदस्यीय समिति गठित की गयी है।’’ उन्होंने बताया कि आयोग ने जिलाधिकारी से कहा है कि वह मामले की जांच कर एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट दें।
जूही ने कहा, हमने जिलाधिकारी से कहा है कि अगर वह कार्रवाई करने के लिये अधिकृत न हों तो लापरवाही के दोषी लोगों को चिन्हित करें और अपनी रिपोर्ट हमें भेजें। हम सरकार के स्तर पर कार्रवाई कराएंगे।