भोपाल। नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवाई करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर नर्मदा नदी पर दिए अपने ही बयान के कारण विरोध का सामना कर रहीं हैं। विरोधियों ने उनके खिलाफ एफआईआर की मांग की है। पिछले दिनों मेधा पाटकर ने नर्मदा को 'वेश्या' कह दिया था। बता दें कि नर्मदा नदी को पूज्य एवं गंगा से भी पवित्र नदी माना जाता है। कहा जाता है कि नर्मदा मैया के स्मरण मात्र से पाप धुल जाते हैं। यह नदी करोड़ों लोगों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है।
क्या कहा था मेधा पाटकर ने
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में गुरुवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए पाटकर ने कहा कि नर्मदा नदी से हर रोज 172 करोड़ लीटर पानी कंपनियों द्वारा लिया जा रहा है। गुजरात में अदानी व अंबानी की कंपनियों को पानी देने के लिए सरदार सरोवर का जलस्तर बढ़ाया जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों को इस बात की चिंता नहीं है कि इससे कितने गांव और परिवार डूबने वाले हैं। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के पानी का लगातार दोहन होने की वजह से यह नदी भी आने वाले दिनों में यमुना नदी की तरह सूख जाएगी। कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए 'नर्मदा को वेश्या बना दिया गया है।
विरोध क्यों और कहां
भोपाल में गुरूवार को दिए गए इस बयान का विरोध बड़वानी में सोमवार को देखने को मिला। मां नर्मदा भक्त मंडल ने मेधा के बयान पर घोर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि, मां नर्मदा को इस तरह की उपमा दिया जाना निंदनीय है। मंडल ने मेधा के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराने की मांग की। इस दौरान पुलिस और भक्त मंडल के बीच तीखी नोक-झोंक हुई।
मेधा ने मांगी माफी
जब इस बवाल पर मेधा पाटकर से सवाल किया तो उन्होंने माफी मांग ली। अपने मां नर्मदा के प्रति अपने समर्पण का हवाला देते हुए कहा कि, मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। इसके बावजूद अगर लोगों की भावनाएं आहत होती हैं, तो मैं माफ़ी मांगती हूं।