भोपाल। मप्र में इन दिनों अध्यापक नेता से भाजपा विधायक बने मुरलीधर पाटीदार चर्चा में हैं। राजस्थान पुलिस ने पाटीदार के खिलाफ 100 करोड़ की चिटफंड धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। पाटीदार का कहना है कि उन पर झूठा आरोप लगाया गया है, क्योंकि उन्होंने विधानसभा में चिटफंड माफिया के खिलाफ सवाल लगाए थे, इसलिए उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया गया। इस बीच सोशल मीडिया पर एचबीएन का जिक्र भी किया जा रहा है।
सवाल यह है कि ये एचबीएन क्या है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने लिखा है कि 'पाटीदार तो एचबीएन में भी थे।' पाटीदार की रहस्मयी जिंदगी का यह राज अब जाकर खुला है। लोगों को अब तक केवल यह पता था कि मुरलीधर पाटीदार सबसे पहले एनएसूयआई के कार्यकर्ता हुआ करते थे, फिर शिक्षाकर्मी बने। इसके बाद शिक्षाकर्मियों के नेता बन गए। फिर संविदा शिक्षक और अध्यापकों के नेता बने। मप्र में संविलियन की मांग लेकर उठे अध्यापकों के एक आंदोलन को खत्म करा देने के बदले उन्हें भाजपा का टिकट मिला और वो शिवराज लहर के चलते विधायक बन गए।
मुरलीधर पाटीदार किसी चिटफंड कंपनी में अधिकारी या पार्टनर भी थे। यह राज अब धीरे धीरे खुल रहा है। एचबीएन के बारे जहां तक सूत्र बता पा रहे हैं, यह एक चिटफंड कंपनी हुआ करती थी। इसने भी फर्जी निवेश योजनाएं चलाकर लोगों के साथ ठगी की थी। इस कंपनी के संचालकों के खिलाफ कई मामले भी दर्ज हैं। अब सवाल यह है कि क्या मुरलीधर पाटीदार भी इसी कंपनी में काम किया करते थे। क्या एचबीएन डेयरी उनकी पाठशाला थी, जिसके बाद उन्होंने राजस्थान समेत देश के 7 राज्यों में 100 करोड़ के चिटफंड धोखाधड़ी वाली कंपनी का काम किया।