
रविवार को अखिलेश सरकार की 108 एम्बुलेंस ने गेरुआ गांव की अंशु पाण्डेय को जिला महिला अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद बुजुर्ग ससुर उसे गोद में उठाकर इमरजेंसी तक ले गया। इमरजेंसी में पहुंचने के 5 घंटे तक कोई महिला डॉक्टर उसे देखने नहीं आई।
वहां मौजूद नर्स ने गर्भवती महिला को ड्रिप लगा दिया। सुबह 3 बजे से लेकर 8 बजे तक इमरजेंसी वार्ड में कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा तो बहू को तड़पता देख ससुर उसे लेकर प्राइवेट डॉक्टर के पास पहुंचा। महिला की गंभीर स्थति देखते हुए डॉक्टर ने उसे वापस जिला महिला अस्पताल भेज दिया। जहां स्ट्रेचर न मिलने पर अपने कंधों पर उसे लेकर इमरजेंसी वार्ड की ओर दौड़ लगा दी, लेकिन इमरजेंसी में न तो कोई डॉक्टर थीं और न ही कोई नर्स।
मीडिया के प्रयास और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से शिकायत के बाद करीब डेढ़ घंटे बाद डॉ. शशि मिश्रा आईं। वे आते ही मीडिया और मरीजों पर भड़क गईं और कैमरे को बंद कराने लगी। इसके कई घंटों के बाद महिला को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया, जहां ऑपरेशन के बाद मृत नवजात को पेट से बाहर निकाला गया। डॉक्टरों की लापरवाही से इन्फेक्शन फ़ैल जाने के कारण महिला को वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
डॉक्टरों और नर्सों से डरते दिखे सीएमएस
ससुर कपूर चंद पाण्डेय का कहना है कि जिला अस्पताल में कोई मदद नहीं मिली। निजी अस्पताल में गया तो वहां जवाब मिला हम नहीं देखेंगे। वहां से भागकर आया तो सिस्टर डांटने लगी। मरीज को बचाने के लिए दौड़ेंगे नहीं तो क्या करेंगे। जब इस लापरवाही पर प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की 24 घंटे ड्यूटी है। अगर कोई नहीं रहती तो बुलाया जाता है। इस घटना पर सीएमएस जांच कराने की बात तक नहीं कह पाए।