
उल्लेखनीय है कि उक्त प्रकरण माननीय सर्वोच्च न्यायालय की साप्ताहिक सूची में 50वें नम्बर पर था एवं सप्ताह में मात्र दो दिन ही सप्ताहिक सूची के प्रकरणों पर सुनवाई होती है। ऐसी स्थिति में उक्त प्रकरण की सुनवाई में कितना समय लगता यह अनिश्चित था। संस्था द्वारा सपाक्स वर्ग के प्रतिमाह बगैर पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे अधिकारी कर्मचारी के व्यापक हित को दृष्टिगत रखते हुये यह कार्यवाही की गयी। गौरतलब है कि वर्तमान में पदोन्नति के संबंध माननीय सर्वोच्च न्यायालय के यथास्थिति बनाये रखने के निर्देशों के फलस्वरूप प्रतिमाह पदोन्नति का लाभ प्राप्त लिये बगैर प्रदेश भर में हजारों अधिकारी कर्मचारी सेवा निवृत्त हो रहे हैं।
संस्था का यह मानना है कि चूंकि उच्च न्यायालय जबलपुर का निर्णय माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मार्गदर्शी सिद्धांतों के आधार पर ही किया गया था। अतः प्रकरण की आगामी सुनवाई दिनांक 08 नवम्बर 2016 को ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किये जाने वाला निर्णय सपाक्स वर्ग के पक्ष में ही आवेगा एवं विगत 14 वर्षो से अन्याय से प्रताडि़त इस वर्ग के अधिकारियों कर्मचारियों को राहत प्राप्त होगी।
- प्रेस रिलीज, जैसा कि सपाक्स की ओर से भोपाल समाचार को प्राप्त हुआ। ।