
वाक्या इस प्रकार है, गत माह की अंतिम तारीख को जगतनगर निवासी अशोक यादव की पत्नि श्रीमती रानी यादव अपनी सासू मॉ के साथ 8 माह की बच्ची को लेकर पास के मोगना गॉव लाडली लक्ष्मी योजना के तहत कागजजात बनवाने गई हुई थी। मासूम बालिका को सर्दी जुकाम हल्का हल्का बुखार था। श्रीमती रानी यादव ने अपनी बालिका को गॉव के एक झोलाछाप डॉक्टर बालचन्द्र जैन के पास उपचार को ले गई। डॉ0 जैन ने बच्ची को इंजेक्शन लगाया और बालिका की मौके पर ही मौत हो गई। बालिका की मौत होते ही डॉक्टर बालचन्द्र जैन ने मृत बालिका के शव को नदी में फिकवा दिया। इसकी सूचना परिजनो के द्वारा मोहनगढ पुलिस को दी गई।
पुलिस ने कार्रवाई करना तो दूर घटना स्थल पर जाना भी उचित नही समझा। पुलिस की लापरवाही के कारण 8 माह की मासूम बच्ची का शव नदी में एक सप्ताह तक उतराता रहा। मृत बच्ची के पिता ने अपने साथ हो रहे अन्याय से पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया। तब कहीं मामले में कार्रवाई का आश्वासन मिला। एसपी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने शव को नदी से बाहर निकाला और मर्ग कायम कर जांच शुरू हुई।