
वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि सभी धार्मिक समुदायों में सात साल या उससे ऊपर के आयु वर्ग में जैन समुदाय में केवल 13.57 फीसदी लोग निरक्षर हैं। जनगणना में 0 से 6 साल के बच्चों को अशिक्षित ही माना गया है।
सात साल या उससे ऊपर के आयु वर्ग में निरक्षरों की सबसे ज्यादा तादाद मुसलमानों में है। यहां 42.72 फीसदी लोग निरक्षर हैं। हिंदुओं में करीब 36.40 फीसदी लोग निरक्षर हैं। 32.49 फीसदी सिख, 28.17 फीसदी बौद्ध, 25.66 फीसदी ईसाई निरक्षर हैं।
स्नातक या उससे ऊपर की शिक्षा प्राप्त करने के मामले में भी जैन समुदाय आगे है। जैन समुदाय से करीब 25.65 फीसदी लोगों ने स्नातक या इससे उच्च शिक्षा हासिल कर रखी है। जबकि दूसरे समुदाय उससे बेहद पीछे हैं। इनमें ईसाई समुदाय में 8.85 फीसदी, सिखों में 6.40, बौद्धों में 6.18, हिंदुओं में 5.98 फीसदी और मुसलमानों में सिर्फ 2.76 फीसदी लोग ही स्नातक या इससे ऊपर की शिक्षा हासिल कर पाए हैं। मुसलमानों में केवल 0.44 फीसदी लोगों ने तकनीकी-गैर तकनीकी डिप्लोमा डिग्री हासिल कर रखी है। 4.44 फीसदी 12वीं तक पढ़े हैं। 6.33 फीसदी ने दसवीं तक शिक्षा हासिल की है। 16.08 फीसदी मुसलमान प्राइमरी स्तर तक पढ़े हैं।
हालांकि 2001 की तुलना में सभी समुदायों में शिक्षा दर बढ़ी है। 2001 के आंकड़ों के मुताबिक हिंदुओं में 54.92 फीसदी, मुसलमानों 57.28 फीसदी लोग ही शिक्षित ही थे। ईसाइयों में 69.45 फीसदी, सिखों में 60.56 फीसदी लोग शिक्षित थे।