
इंद्रलोक सभागार में चल रहे वैदिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि तंत्र विद्या को लोग जादू टोना से जोड़कर देखते है जो इस विद्या को नीचे गिराने की कोशिश है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तंत्र-मंत्र विद्या को बदनाम किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए कोचीन एक मात्र जगह है, जहां पर तंत्र-मंत्र सिखाया जाता है। इसके अलावा कोई दूसरी जगह देश में नहीं है। सीएम ने कहा कि वे प्रयास करेंगी कि राजस्थान के संस्कृत विश्वविद्यालय में तंत्र-मंत्र सिखाया जाए।
वसुंधरा राजे ने कहा कि तंत्र विद्या के लिए साधना करनी पड़ती है। बहुत मेहनत करनी पड़ती है। राजे ने इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद संस्कृत शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ को कहा कि इस विद्या के प्रचार के लिए बनारस, काशी, उज्जैन से वैसे विद्वानों को बुलाओ, जो इसे सिखा सके। बताते चलें कि वसुंधरा राजे सिंधिया दतिया, मप्र में स्थित भारत के प्रख्यात पीताम्बा पीठ की प्रमुख सेवक हैं। वो नियमित रूप से वहां जातीं हैं एवं तंत्र-मंत्र व जादू-टोने में अंतर को भली भांति समझतीं हैं। यही अंतर उन्होंने समझाने का प्रयास किया था।