
आज यहां जारी अपने बयान में श्री मिश्रा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की विशेष अनुमति याचिका में वर्ष 2015 को पारित आदेश में होमगार्ड के 14500 स्वयंसेवी सैनिकों को मानदेय के एरियर्स हेतु मप्र शासन के गृह मंत्रालय ने 31 करोड़ 17 लाख 6 हजार 500 रूपये के भुगतान करने हेतु एक ओर जहां स्वीकृति दी, हालाकि उन्हें यह भुगतान रैंक के आधार पर न करते हुए गलत तरीके से किया गया। इस बावत् स्वयं मुख्यमंत्री ने 26 मार्च, 2015 को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार एरियर राशि का भुगतान व सेवा शर्ताें की कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु मुख्य सचिव को आदेशित किया था।
भाजपा के वर्ष 2008 के चुनावी घोषणा पत्र में भी होमगार्ड के सैनिकों के वेतन भत्ते व अन्य सुविधाओं को सम्मानजनक किये जाने और उनकी सेवाओं को स्थायी करने के संबंध में निर्णय लिये जाने का भी उल्लेख किया गया था। यही नहीं होमगार्ड संगठन को सरकार की ओर से रीढ़ की हड्डी बनाने का भी वायदा करते हुए 5 लाख से 35 लाख स्वयं सेवी बनाने का लक्ष्य घोषित किया गया था।
श्री मिश्रा ने कहा कि एक ओर सिंहस्थ के दौरान 3 हजार होमगार्ड सैनिकों की भर्ती की गई थी, जिन्हें स्थायी किये जाने हेतु प्रस्ताव सरकार के समक्ष विचाराधीन है, वहीं इस संगठन में 40 वर्ष की उम्र तक भर्ती की जाती है, किन्तु 41 वर्ष की उम्र में होमगार्ड सैनिकों को सेवानिवृत्ति किये जाने के तुगलकी निर्णय से यह बात सामने आ रही है कि क्या होमगार्ड सैनिक सिर्फ 1 वर्ष ही नौकरी कर पायेगा?
श्री मिश्रा ने कहा है कि ये वे सैनिक है जो सबसे कम वेतन पर प्राकृतिक आपदा के दौरान त्वरित राहत और बचाव कार्य दौरान अपनी जान जोखिम में डाल आपदा प्रबंधन के लिए सशक्त और प्रभावी बनाते हैं, जिन्हें पेंशन ग्रेच्युटी की सुविधा भी प्राप्त नहीं हैं। लिहाजा इन असहाय आवाजों को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करते पारिवारिक परेशानी में डालना कितना न्याय संगत होगा, मुख्यमंत्री जी को चाहिए कि वे पन्ना जिले में आई बाढ़ के दौरान उनकी रक्षा करने वाले होमगार्ड सैनिकों के प्रति सदाशयता दिखायें ?